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बड़ी उलझन में पाकिस्तान, खिलाड़ियों को भारत भेजें या नहीं? तय करने के लिए बनाया ये प्लान

ड़ोसी देश पाकिस्तान खिलाड़ियों को भारत भेजे जाने पर बड़ी उलझन में है। इसी सिलसिले में पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने यह तय करने के लिए विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में एक हाई-प्रोफाइल समिति का गठन किया है कि क्या पाकिस्तान को भारत में अक्टूबर में शुरू होने वाले आईसीसी एकदिवसीय विश्व कप में भाग लेने के लिए अपनी राष्ट्रीय क्रिकेट टीम भेजनी चाहिए या नहीं।

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) को सूचित किया है कि दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए, इस प्रतिष्ठित आयोजन में पाकिस्तान टीम की भागीदारी सरकारी मंजूरी पर निर्भर करता है।

पीसीबी ने पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री शरीफ,जो क्रिकेट बोर्ड के संरक्षक-प्रमुख भी हैं, को चिट्ठी लिखी थी कि राष्ट्रीय टीम को भारत की यात्रा करनी चाहिए या नहीं? पीसीबी ने इस पर उनका मार्गदर्शन मांगा था। इसके जवाब में, प्रधान मंत्री शरीफ ने 14 सदस्यीय एक पैनल का गठन किया है, जो इस मामनले पर अपनी राय देगा। विदेश मंत्री बिलीवल भुट्टो को इस पैनल का चीफ बनाया गया है। बता दें कि पाकिस्तान में एशिया कप मैच खेलने से भारत के इनकार के बाद पाकिस्तान के लिए परिस्थितियां अधिक जटिल हो गई हैं।

बता दें कि 27 जून को सीधे पीएम को संबोधित पत्र में पीसीबी ने टीम के निर्धारित मैचों के लिए स्थानों पर सलाह देने का अनुरोध किया था और पूछा था कि क्या सरकार भारत में एक सुरक्षा प्रतिनिधिमंडल भी भेजना चाहती है। पीसीबी के मुख्य परिचालन अधिकारी सलमान नसीर ने सरकार से विश्व कप मैचों के लिए पाकिस्तान सरकार से प्रस्तावित पांच स्थानों पर अपेक्षित सुरक्षा व्यवस्था का मूल्यांकन करने का अनुरोध भी किया था।

आईसीसी के टूर्नामेंट कार्यक्रम के अनुसार,पाकिस्तान के मैच हैदराबाद (नीदरलैंड और श्रीलंका के खिलाफ), अहमदाबाद (ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाफ), बेंगलुरु (बांग्लादेश और इंग्लैंड के खिलाफ) और चेन्नई (अफगानिस्तान और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ) में होने वाले हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच बहुप्रतीक्षित मैच 15 अक्टूबर को अहमदाबाद के दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में होगा।

इस पैनल की सिफारिशों के आधार पर, पीएम शरीफ विश्व कप में देश की भागीदारी के संबंध में अंतिम निर्णय लेंगे। समिति में विदेश मंत्री, कई अन्य मंत्री, सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के प्रमुख और गठबंधन सरकार में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।

 

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