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डॉ सूर्यकान्त “डाक्टर ऑफ साइन्स” की मानद उपाधि से सम्मानित

लखनऊ। हेमवती नन्दन बहुगुणा उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय, देहरादून ने किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर (डा) सूर्यकान्त को “डाक्टर ऑफ साइन्स’’ (डीएससी) की मानद उपाधि से अलंकृत किया है। यह उपाधि उत्तराखण्ड के राज्यपाल लेज गुरमीत सिंह एवं डा धन सिंह रावत, चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री उत्तराखण्ड ने विश्वविद्यालय के छठवें दीक्षान्त समारोह में 28 अगस्त को प्रदान की। डा सूर्यकान्त को यह उपाधि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विज्ञान के क्षेत्र में रोगी सेवा, शिक्षा, प्रशिक्षण एवं शोध कार्यों में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट एवं अप्रतिम योगदान हेतु प्रदान की गयी।

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ज्ञात रहे कि डा सूर्यकान्त को स्टैनफोर्ड, यूनिवर्सिटी, अमेरिका द्वारा चयनित विश्व के सर्वोच्च दो प्रतिशत वैज्ञानिकों की श्रेणी में भी स्थान प्राप्त हुआ है। डा सूर्यकान्त केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में लगभग 18 वर्ष से प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं एवं 12 वर्ष से विभागाध्यक्ष के पद पर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इसके अलावा चिकित्सा विज्ञान सम्बंधित विषयों पर 21 किताबें भी लिख चुके हैं तथा एलर्जी, अस्थमा, टी.बी. एवं लंग कैंसर के क्षेत्र में उनके अब तक लगभग 800 से अधिक शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अर्न्तराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं। इसके साथ ही दो अंतर्राष्ट्रीय पेटेन्ट का भी उनके नाम श्रेय जाता है।

डॉ सूर्यकान्त “डाक्टर ऑफ साइन्स” की मानद उपाधि से सम्मानित

लगभग 200 एमडी/पीएचडी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन, 50 से अधिक परियोजनाओं का निर्देशन, 20 फेलोशिप्स, 15 ओरेशन एवार्ड का भी श्रेय उनके नाम ही जाता है तथा इससे पहले भी अमेरिकन कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन, इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन, इण्डियन चेस्ट सोसाइटी, नेशनल कालेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन आदि संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 20 फेलोशिप सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है तथा ब्रोन्कियल अस्थमा के क्षेत्र में बेस्ट इनोवेशन (एलएस लोवेश पुरस्कार) 2006 भी शामिल है। उन्हें उप्र सरकार द्वारा विज्ञान गौरव अवार्ड (विज्ञान के क्षेत्र में उप्र का सर्वोच्च पुरस्कार) और केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा एवं उप्र हिन्दी संस्थान से भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें अब तक अन्तरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा लगभग 184 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

ज्ञात रहे कि डा सूर्यकान्त जो जोनल टास्क फोर्स नार्थ जोन (क्षय उन्मूलन) के चेयरमैन भी हैं, विगत कई वर्षों से टीबी उन्मूलन में उप्र का देश में नेतृत्व कर रहे हैं। टीबी मुक्त भारत के सपने को साकार करने हेतु निरन्तर प्रयत्नशील हैं, उन्होंने लखनऊ के गाँव अर्जुन पुर व मलिन बस्ती ऐशबाग, लखनऊ एवं टीबी रोग से पीड़ित 52 बच्चों को गोद लिया है, विभिन्न माध्यमों से टीबी के प्रति लोगों को जागरूक करने का कार्य करते रहते हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना के इन्स्टीट्यूट एवं गवर्निंग बॉडी एवं बोर्ड ऑफ मैनेजमेन्ट, राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, जयपुर के सदस्य भी हैं।

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डा सूर्यकान्त कोविड टीकाकरण के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के ब्रांड एंबेसडर भी हैं। इसके साथ ही चेस्ट रोगों के विशेषज्ञों की राष्ट्रीय संस्थाओं इण्डियन चेस्ट सोसाइटी, इण्डियन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एण्ड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी एवं नेशनल कालेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन (एनसीसीपी) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं तथा इण्डियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन के मेडिकल साइंस प्रभाग के भी राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। वह पिछले 25 वर्षों से अधिक समय से अपने लेखों व वार्ताओं एवं टीबी व रेडियों के माध्यम से लोगो में एलर्जी, अस्थमा, टीबी, कैंसर जैसी बीमारी से बचाव व उपचार के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं।

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