बुंदेलखंड के दमोह में ग्रामीण कस्बों में कटहल की सब्जी को काफी चााव के साथ लोग खाना पसंद करते हैं. इस फल को शाकाहारियों का नॉनवेज माना जाता है, जिसका आयुर्वेद में बड़ा महत्व है.
इसका निरंतर सेवन करने से एनीमिया, कैंसर और थायराइड जैसी बीमारियां दूर भागती हैं. बता दें कि पका हुआ कटहल बहुत ही स्वादिष्ट मीठा होता है. वहीं महाराष्ट्र में इसके पके कोये से आम रोटी जैसी रोटी (धूप में सुखाकर) बनाई जाती है. इसके बीज को भूनकर या उबालकर खाया जाता है, जो शरीर में पौष्टिक तत्वों की कमी को पूरा करता है.
जानें कटहल के आयुर्वेदिक गुण
कटहल में विटामिन बी-6 होता है, जो खून में होमोसिस्टीन के लेवल को काम करता है. हृदय के लिए भी स्वस्थ रहता है. बॉडी में आयरन की कमी नहीं होने देता. इसमें कैल्शियम होता है, जो हड्डियों को मजबूत करता है. कटहल में कॉपर होता है, इसके सेवन से थायराइड जैसी बीमारी से बचा जा सकता है. मधुमेह के रोगियों के लिए यह फायदेमंद होता है. इसमें विटामिन बी होता है, जो इंसुलिन में सुधार करता है. इसमें विटामिन ए पाया जाता है, जिससे आंखों की रोशनी को बनाए रखने में मदद मिलती है.
मिर्गी से ऐसे बचाएगा
आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. अनुराग अहिरवाल ने बताया कि अगर किसी को मिर्गी का दौरा पड़ता है तो कटहल की छाल का चूर्ण बनाकर नाक में डाल देते हैं तो मिर्गी का दौरा शांत हो जाता है. इसमें आयरन की मात्रा अच्छी होती है जो एनीमिया के लिए भी उपयोगी है. साथ ही थायराइड, कैंसर संबंधी गंभीर बीमारी से भी बचा जा सकता है. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों ने इसका अचार चाव से खाया जाता है.