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विश्वविद्यालय में होने वाले शोध गांव की समस्याओं पर आधारित होने चाहिए: आनंदीबेन पटेल

• राज्यपाल की अध्यक्षता में जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया का 5वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न

• शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का सर्वांगीण विकास है

लखनऊ। प्रदेश की राज्यपाल व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया का 5वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। राज्यपाल ने माँ सरस्वती एवं चन्द्रशेखर जी के चित्र पर माल्यार्पण कर तथा कलश में जलधारा अर्पण करके जल संरक्षण के संदेश के साथ दीक्षांत समारोह का शुभारम्भ किया।

समारोह में राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के 38 मेधावियों को स्वर्ण पदक एवं 1 सर्वश्रेष्ठ छात्रा ‘साक्षी बरनवाल’ को कुलाधिपति पदक प्रदान किया। पदक विजेताओं में छात्राओं की संख्या 26 एवं छात्रों की संख्या 12 है। इस अवसर पर स्नातक के 21372 एवं स्नातकोत्तर के 3430, कुल 24802 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गयी, जिनमें 13347 छात्राएं एवं 11454 छात्र थे।

विश्वविद्यालय में होने वाले शोध गांव की समस्याओं पर आधारित होने चाहिए: आनंदीबेन पटेल

राज्यपाल ने सभी पदक विजेताओं तथा उपाधि प्राप्त कर्ताओं को शुभकामनाएं देकर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए सभी को दीक्षांत समारोह की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का सर्वांगीण विकास है। कहा कि दीक्षांत शिक्षा का अंत नहीं है बल्कि अर्जित ज्ञान को समाज में व्यावहारिक रूप प्रदान करने का आरंभ है। राष्ट्र और समाज के निर्माण में विद्यार्थियों की अहम भूमिका है और वे स्वस्थ समाज और राष्ट्र के निर्माण में अहम योगदान निभाने के लिए तैयार हो जाएं।

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कहा कि इस देश को स्वस्थ महिलाओं की आवश्यकता है। महिलाएं अपनी बेटियों को कैंसर रोधी वैक्सीन अवश्य लगवायें, अपने पतियों और भाइयों से उपहार में साड़ी की बजाय वैक्सीन का उपहार लें। कहा कि हम मूल अधिकारों की बात हमेशा करते हैं, इस संविधान दिवस पर हमें मौलिक कर्तव्यों की बात करनी चाहिए जो संविधान के अनुच्छेद 51 क में लिखित है।

बलिया में कृषि आधारित उद्योगों के विकास की संभावनाएँ हैं, श्री अन्न (मोटे अनाज) बहुत पोषणयुक्त हैं उनके उत्पादन एवं निर्यात से किसानों को पोषण के साथ समृद्धि भी प्राप्त हो सकती है। विश्वविद्यालय में होने वाले शोध गाँव की समस्याओं पर आधारित होने चाहिए और इनका लाभ गांव को मिलना चाहिए।

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इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के कुलाधिपति हरमहेन्द्र सिंह बेदी ने कहा कि शिक्षा का मूल उद्देश्य चरित्रवान विद्यार्थियों का निर्माण करना है।आज ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है जो रोजगारपरक हो। उन्होंने उम्मीद जतायी कि यह विवि जनपद के आर्थिक, सामाजिक तथा सामाजिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। विशिष्ट अतिथि योगेंद्र उपाध्याय (उच्च शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश) ने अपने संबोधन में उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों से देश और समाज के निर्माण में योगदान देने की अपील की।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजीत कुमार गुप्ता ने राज्यपाल के समक्ष विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या प्रस्तुत की। समारोह में कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित स्मारिका ‘सृजन‘, समाचार-पत्रिका ‘अन्वीक्षण‘ एवं अन्य पुस्तकों का विमोचन भी किया।

प्राथमिक विद्यालय के विद्यार्थियों को मिली शैक्षणिक सामग्री

कुलाधिपति एवं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने समारोह में प्रतिभाग कर रहे प्राथमिक विद्यालय के 30 विद्यार्थियों को पठन-पाठन सामग्री की किट तथा पौष्टिक खाद्य सामग्री प्रदान की। विद्यार्थियों को राज्यपाल ने आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने राज्यपाल को अपने हाथों से बनी ड्रॉइंग उपहार में दी।

विश्वविद्यालय में होने वाले शोध गांव की समस्याओं पर आधारित होने चाहिए: आनंदीबेन पटेल

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के गोद लिए हुए गाँवों में खेलकूद के कार्यक्रम के विजेता बच्चों को भी पुरस्कृत किया। समारोह में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को भी राज्यपाल ने प्रदान की किट। कुलाधिपति एवं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दीक्षांत समारोह में 10 आंगनबाड़ी केंद्रों को सुसज्जित और सुविधा संपन्न बनाने हेतु उपयोगी सामग्री की किट आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को प्रदान की। एक केंद्र हेतु प्रत्येक किट में रु0 16117 का सामन दिया गया। जिसमें बच्चों के लिए एबीसीडी, फल, जानवर, अंक, गेंद, क्ले, रिंग्स, व्हाइट बोर्ड, संख्या पुस्तक , बच्चों की साइकिल, झूले वाला घोड़ा तथा अन्य सामग्री भी शामिल थी।

ज्ञातव्य हो की जनपद बलिया में राज्यपाल जी द्वारा पहले भी ऐसी कुल 7510 किट वितरित की जा चुकी हैं। इस अवसर पर समारोह में स्थानीय अतिथिगण, जनप्रतिनिधि, कार्य परिषद एवं विद्या परिषद के सदस्य, अधिकारी एवं शिक्षक गण तथा विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी

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