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सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक उत्कर्ष की ओर बढ़ते हुए मुस्कुरा रही है अयोध्या

श्रीराम आ रहे हैं। नव वर्ष में नई अयोध्या 21वीं सदी के सबसे बड़े सामाजिक-सांस्कृतिक और धार्मिक उत्कर्ष का गवाह बनने जा रही है। लाखों रामभक्तों और श्रद्धालुओं के मन की मुराद भी पूरी करने जा रही है, जो सैकड़ों वर्षों से रामलला को दिव्य-भव्य नए मंदिर में विराजने का इंतजार कर रहे हैं। 22 जनवरी, 2024 की तारीख तय हो चुकी है।

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अयोध्या दिन-रात संवर रही है, सज रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब रामलला के बालरूप की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे, तब यह अवसर न सिर्फ इस धार्मिक नगरी के लिए आध्यात्मिक दृष्टि से उत्कर्ष का होगा, बल्कि अवध की अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार बन जाएगा।

सामाजिक सांस्कृतिक और धार्मिक उत्कर्ष की ओर बढ़ते हुए मुस्कुरा रही है अयोध्या

राममंदिर आंदोलन में सक्रिय रहे कमलेश चतुर्वेदी कहते हैं, अयोध्या ने सदियों तक अपमान की पीड़ा झेली है। अपने आराध्य के मंदिर को लुटते-टूटते और मस्जिद में बदलते देखा है।

तुष्टीकरण का दंश झेला है, रामभक्तों को गाली और गोली खाते देखा है…श्रीराम को काल्पनिक कहते सुना है। नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना…वाली अयोध्या में वर्षों बेबसी के बाद वैभव, समृद्धि, उत्कर्ष और उल्लास के दिन लौट रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि मानो भगवान राम स्वयं आ रहे हैं।

सब नर करहिं परस्पर प्रीती

कमलेश कहते हैं, अयोध्या अब रुकने वाली नहीं है। सब नर करहिं परस्पर प्रीती, चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती…वाली अयोध्या आकार ले रही है। अभी अयोध्या सिर्फ मुस्कुरा रही है।

22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ लोग उसी तरह बलिहारी जाएंगे, जैसे भगवान राम के जन्म के दिन होते हैं। 2025 तक राममंदिर पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा और हजारों करोड़ के निर्माणाधीन प्रोजेक्ट पूरे हो जाएंगे…तब अयोध्या खिलखिलाने लगेगी।

बदली राजनीति का सुफल है अयोध्या

शिक्षक अवनि कुमार शुक्ला कहते हैं, देश की जिस तरह की राजनीति थी, कभी लगता नहीं था कि मंदिर बन भी पाएगा। वोट के लिए, तुष्टीकरण के लिए हिंदुओं की अस्मिता को झकझोरने वाले फैसले किए गए।

बहुसंख्यक वर्ग निराश हो गया था। राजनीति बदली, तो राजकाज भी बदल गया। आज की अयोध्या बदली राजनीति का सुफल है। यह सबको आगे बढ़ाने, अवसर देने और सबको अपने में समाहित करने वाली अयोध्या के रूप में विकसित हो रही है।

रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह 

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