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कोल्ड चेन के कारण अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित और असरकारक होते हैं टीके – डीआईओ

स्वास्थ्य केंद्रों से लाभार्थी तक टीकों की गुणवत्ता की जा रही सुनिश्चित

वैक्सीन को सुरक्षित रखने में कोल्ड चैन मैनेजमेंट की भूमिका अहम

जिले के सभी कोल्ड चैन हैंडलर्स को दी गई वैक्सीन रख-रखाव की ट्रेनिंग

औरैया। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (डीआईओ) डॉ राकेश सिंह ने बताया कि बच्चों को बारह प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए पांच वर्ष की आयु तक सात बार नियमित टीकाकरण आवश्यक है । इन सभी प्रमुख टीकों की उपलब्धता स्वास्थ्य केंद्रों से लाभार्थी तक गुणवत्तापूर्ण तरीके से पहुंचे यह सुनिश्चित की जा रही है । टीके की आपूर्ति के सभी स्तरों पर कोल्ड चेन के कारण ही सरकारी अस्पताल का टीका अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित और असरकारक होता है । इस संबंध में जिले के सभी कोल्ड चेन हैंडलर्स को तकनीकी जानकारियां देकर उनका क्षमता संवर्धन किया गया है।

कोल्ड चेन के कारण अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित और असरकारक होते हैं टीके - डीआईओ

राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत शुक्रवार को कोल्ड चैन हैंडलर्स का दो दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ । सीएमओ कार्यालय परिसर स्थित प्रशिक्षण केंद्र में जनपद के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के सभी कोल्ड चैन हैंडलर्स को कोल्ड चैन पॉइंट में वैक्सीन के रखरखाव, ई-विन पोर्टल, तापमान नियंत्रण, निगरानी, आईएलआर, डीप फ्रीजर, वैक्सीन वायल मॉनिटर, ओपन वायल पॉलिसी आदि के बारे में प्रशिक्षित किया गया । इसके साथ ही अपर शोध अधिकारी (एआरओ) को भी समय से रिपोर्टिंग करने के संबंध में प्रशिक्षण दिया गया।

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यूएनडीपी के जिला समन्वयक सतेंद्र सिंह व तथा यूनिसेफ के जिला समन्वयक नरेंद्र शर्मा ने सभी कोल्ड चैन हैंडलर्स को प्रशिक्षण दिया । उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य कोल्ड चैन हेंडलर्स को आईस लाइन रेफ्रीजरेटर (आईएलआर), डीप फ्रीजर, डी फ़्रोस्ट आदि के रखरखाव व प्रबंधन के बारे में प्रशिक्षित करना, नियमित दस्तावेज़ और इविन पोर्टल पर अंकित करना है । वैक्सीन को व्यवस्थित और सुरक्षित रखने में कोल्ड चैन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और इसका संचालन करने वालों की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है । वैक्सीन को जिस तापमान की जरूरत है, उस तापमान पर रखा जाए और इसकी निरंतर निगरानी की जाए । साथ ही वैक्सीन को जितने समय तक सुरक्षित रखना है, उसे उसी अनुसार व्यवस्थित करने की जरूरत है । जो वैक्सीन क्षेत्र में भेजा जा रहा है, उसे आइसपैक करके वैक्सीन कैरियर में भेजा जाए।

 

कोल्ड चेन के कारण अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित और असरकारक होते हैं टीके - डीआईओ

उन्होंने बताया कि आईएलआर का तापमान 2 से 8 डिग्री सेल्सियस रखा जाना चाहिए । डीप फ्रीजर का तापमान माइनस 15 से माइनस 25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए । एएनएम को सभी दिशा-निर्देशों, नियमों को विस्तार से बताएं । वैक्सीन का वेस्टेज न हो इसके लिए उनकी टैली शीट को देखते रहें । वैक्सीन के ट्रांसपोर्ट के लिए वैक्सीन कैरियर और कोल्ड बॉक्स में कंडीशन आईस पैक होना जरूरी है । साथ ही माइक्रोप्लानिंग और वैक्सीन को ले जाने की व्यवस्था के बारे में समझाया। शासन की ओर से भेजे गए प्रोफार्मा को उसी के अनुसार भरा जाए। प्रशिक्षण में एआरओ, सीएचसी व पीएचसी के कोल्ड चैन हैंडलर्स, यूएनडीपी, डब्लूएचओ व यूनिसेफ के प्रतिनिधि एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी शामिल रहे।

 

कोल्ड चेन पर रखना है ध्यान

अजीतमल ब्लॉक की कोल्ड चेन हैंडलर ने बताया कि प्रशिक्षण में इस बात पर जोर दिया गया कि कोल्ड चेन पर अगर कोई टीका खुलने के कारण खराब हो चुका है तो उसे अलग रखा जाए। उसे कोल्ड चेन सिस्टम से बाहर कर दिया जाए ताकि वह गलती से भी सत्र पर न जा सके । टीकाकरण में ओपेन वायल का प्राथमिकता के आधार पर इस्तेमाल करना है ताकि वह बर्बाद न हो। प्रयास होना चाहिए कि वैक्सीन का कोल्ड चेन कभी टूटने न पाए। अगर कोई तकनीकी बाधा आती है तो कोल्ड बाक्स या आवश्यकता पड़ने पर वैक्सीन का ट्रांसफर कर उसकी गुणवत्ता बनाए रखना है।

रिपोर्ट – शिव प्रताप सिंह सेंगर 

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