एसबीआई के अनुसंधानकर्ताओं ने मंगलवार को बताया कि 2022-23 में भारत की गरीबी दर घटकर 4.5-5% हो गई। नए घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण गरीबी 2011-12 की 25.7% से घटकर 7.2% हो गई और शहरी गरीबी एक दशक पहले की अवधि से घटकर 4.6% हो गई। एसबीआई रिसर्च के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आवश्यक नई गरीबी रेखा या उपभोग का मूल स्तर 1,622 रुपये और शहरी क्षेत्रों के लिए 1,929 रुपये था।
एसबीआई रिसर्च के अनुसार, “ग्रामीण गरीबी में 2018-19 के बाद से 440 आधार अंकों की गिरावट आई है और शहरी गरीबी में महामारी के बाद 170 आधार अंकों की गिरावट आई है। यह इंगित करता है कि पिरामिड के निचले पायदान पर मौजूद लोगों के लिए वर्तमान में कई सरकारी कार्यक्रमों का ग्रामीण आजीविका पर महत्वपूर्ण लाभकारी प्रभाव पड़ रहा है। विश्व बैंक के एक पेपर के अनुसार, भारत की गरीबी दर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 11.6% और शहरी क्षेत्रों के लिए 6.3% तक गिर गई है।
ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के जीवनस्तर में आया सुधार
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि गांवों और शहरों में प्रति व्यक्ति उपभोग और रूरल इकोसिस्टम में सुधार आने का कारण सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाएं हैं। सरकार ने डीबीटी ट्रांसफर, गांवों के इंफ्रस्ट्रक्चर और किसानों की आय बढ़ाने जैसी कोशिशें की हैं। इससे ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के जीवनस्तर में सुधार आया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ऐसे राज्य जिन्हें पिछड़ा समझा जाता था, जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश उनके इकोसिस्टम में भी तेजी से सुधार हो रहा है।