‘मजबूत और स्थिर संबंधों से चीन और भारत के साझा हितों की पूर्ति होगी।’ चीन की यह प्रतिक्रिया भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत के साथ चीन के संबंध पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं। पीएम मोदी ने यह भी कहा था कि दोनों देशों को मिलकर बातचीत के जरिए सीमा विवाद का तत्काल हल निकाला जाना चाहिए। अब चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा है कि चीन ने प्रधानमंत्री की टिप्पणियों पर गौर किया है। माओ ने आगे कहा कि अगर भारत और चीन के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंध होंगे, तो इससे दोनों देशों के साझा हितों की भी पूर्ति होगी।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने क्या कहा?
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने सीमा विवाद पर कहा है कि भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों को ठीक से प्रबंधित कर उचित रूप से रखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देश राजनयिक और सैन्य माध्यमों से संपर्क में हैं। बता दें कि गुरुवार को पीएम मोदी ने एक साक्षात्कार में कहा था कि भारत के लिए चीन के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंध महत्वपूर्ण हैं।
मतभेदों का हल निकाला जाना जरूरी- चीन
माओ निंग ने उम्मीद जताई कि दोनों देश एक साथ मिलकर एक दिशा में काम करेंगे। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने से आपसी विश्वास बढ़ेगा, जिससे संवाद और सहयोग कायम रहेगा। मिंग ने यह भी कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती से आगे बढ़ाने के लिए मतभेदों का हल निकाला जाना जरूरी है।
इस वजह से पैदा हुआ था गतिरोध
5 मई 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर पैंगोंग त्सो क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच गतिरोध पैदा हो गया था। इस गतिरोध को खत्म करने के लिए दोनों पक्षों के बीच अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता हो चुकी है। चीनी सेना के अनुसार दोनों पक्ष अब तक गलवान घाटी, पैंगोंग झील, हॉट स्प्रिंग्स और जियानान दबन से पीछे हटने पर सहमत हुए हैं। उधर भारत द्वारा पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर देपसांग और डेमचोक इलाकों से सेना को हटाने का दबाव बनाया जा रहा है। भारत का कहना है कि जब तक सीमाओं की स्थिति सामान्य नहीं होती, तब तक चीन के साथ उसके संबंधों में सामान्य स्थिति की बहाली नहीं हो सकती।