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घटा सरयू का जलस्तर, खतरे के निशान से तीन सेमी नीचे पहुंचा पानी, नाव से स्कूल जाना शुरू हुए बच्चे

सरयू खतरे के निशान से तीन सेमी नीचे पहुंच गई है। जलस्तर तो घट रहा है लेकिन अब परेशानियों की बाढ़ आ गई है। पीड़ितों के समक्ष खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है। कई परिवार तो एक ही बार खाना खा रहे हैं। वहीं स्कूली बच्चे नाव से जोखिम उठाकर पढ़ाई करने जा रहे हैं। पशुओं के चारे का संकट खड़ा हो गया है। संक्रामक बीमारियां तेजी से फैल रही है।

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घटा सरयू का जलस्तर, खतरे के निशान से तीन सेमी नीचे पहुंचा पानी, नाव से स्कूल जाना शुरू हुए बच्चे

सरयू का जलस्तर शनिवार की शाम छह बजे 92. 70 मीटर रिकॉर्ड किया गया जोकि लाल निशान 92़ 73 मीटर से तीन सेमी नीचे है। जलस्तर घटने के साथ कटान का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। सदर तहसील के पूराबाजार के 12 से अधिक गांव बाढ़ से अभी भी घिरे हुए हैं।

पूरा बाजार प्रतिनिधि के अनुसार सलेमपुर, पिपरी संग्राम ,उरदाहवा ,पूरे चेतन गांव में अभी भी पानी घरों के किनारे है। बाढ़ पीड़ित परिवार भोला, ज्वाला, शंकर, रामपाल ,चंद्रपाल, गंगाशरण आदि का कहना है कि पानी कम होते ही फसलें सड़कर गिरने लगी हैं। जिससे मवेशियों के चारे का संकट खड़ा हो गया है।

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शिवराम निषाद ने कहा कि बच्चों को रोजाना नाव से मूड़ाडीह प्राथमिक विद्यालय छोड़ने और लेने जाना पड़ता है। बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि दिन में एक बार ही भोजन कर रहे हैं। बाकी दिन लइया, चना खाकर बिता रहे हैं। एडीएम वित्त एवं राजस्व महेंद्र सिंह ने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों की 24 घंटे निगरानी की जा रही है। राहत सामग्री का भी वितरण किया जा रहा है।

नाव वाले वसूल रहे मनमाना किराया

रुदौली तहसील क्षेत्र में बाढ़ का पानी घटने के बाद बर्बादी की तस्वीरें सामने आने लगी हैं। संपर्क मार्गों पर पानी भर गया है। आवागमन के लिए नाव ही सहारा है। नाव वाले मनमाना किराया वसूल रहे है। रुदौली की 15 हजार आबादी बाढ़ से प्रभावित है। रुदौली तहसील के सबसे अधिक कैथी मांझा के ही 99 परिवार बाढ़ से प्रभावित हैं।

मांझा निवासी संतोष कुमार बताते हैं कि जल स्तर बढ़ने के डर से घर के छत पर अपना डेरा डाले हैं। बच्चों की पढ़ाई बाधित है। भोजन पकाने में दिक्कतें हो रहीं हैं।

एक बार ही भोजन पका रहे हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत शौचालय की हो रही है। राम कुमार कहते हैं कि बाढ़ के कारण आमदनी बंद है। मालती और भगवती देवी कहती हैं कि बिजली न होने से गांवों में अंधेरा कायम रहता है।

राम नरेश कहते हैं कि घरों में भरा पानी धीरे-धीरे निकल रहा है। घर-आंगन में कीचड़ ही कीचड़ है। ईंधन भीग गए हैं। दिन में एक बार खाना बनाकर काम चल रहे हैं। सड़कों पर पानी भरा हुआ है। जिससे गांव के बाहर निकलना मुश्किल है। सांप-बिच्छू आदि जहरीले जीव जंतु भी घूमते रहते हैं।

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