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ये हैं भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग, जानिए देश की किन जगहों पर हैं स्थित

सावन मास की शुरुआत हो चुकी है। सावन का महीना भगवान शिव का बहुत प्रिय है। इस महीने में भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था। ऐसे में शिवजी की आराधना का ये सबसे उपयुक्त समय होता है। 2 अगस्त को सावन शिवरात्रि है।

सावन के महीने में किसी भी दिन या खासतौर पर सावन शिवरात्रि के मौके पर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए जा सकते हैं। पूरे महीने में देश के अलग-अलग शहरों में स्थित पूरे 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए जा सकते हैं, या समय की कमी हो तो अपने शहर से नजदीक स्थित किसी ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए जाएं। यहां आपको विश्व विख्यात 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम और स्थान बताए जा रहे हैं, ताकि सावन में आसानी से भगवान शिव के इन मंदिरों के दर्शन के लिए जा सकें।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग,गुजरात

भगवान शिव का पहला ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित है। अरब सागर के तट वेरावल बंदरगाह पर बसे इस शिव मंदिर का नाम सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है। ऋग्वेद के मुताबिक, एक बार चंद्र देव को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग का श्राप दिया था। चंद्रमा ने श्राप से मुक्ति पाने के लिए इसी स्थान पर शिवजी की पूजा और तप किया। मान्यता है कि खुद चंद्र देव ने इस स्थान पर ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। चंद्र देव को सोम भी कहते हैं, ऐसे में इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ पड़ा।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश

देश में दूसरा ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कृष्णा नदी के तट पर स्थित श्रीशैल पर्वत पर है। इस ज्योतिर्लिंग को श्रीमल्लिकार्जुन नाम से जाना जाता है, जिसे दक्षिण का कैलाश भी कहते हैं।

पौराणिक कथानुसार, जब भगवान शिव और माता पार्वती के दोनों पुत्रों कार्तिकेय जी और गणेश जी के बीच पूरी पृथ्वी के पहले चक्कर लगाने की प्रतियोगिता हुई तो इस प्रतियोगिता में भगवान गणेश बुद्धि से जीत गए। जब कार्तिकेय जी पृथ्वी की परिक्रमा करके लौटे तो गणेश को विजय देख दुखी हुए और माता पिता के चरण स्पर्श कर कैलाश पर्वत छोड़कर क्रौंच पर्वत पर रहने लगे।

माता पार्वती और शिव जी ने उन्हें समझाने के लिए नारद जी को भेजा लेकिन भगवान कार्तिकेय वापस नहीं आए। कोमल हृदय माता पार्वती पुत्र स्नेह में भगवान शिव के साथ क्रौंच पर्वत पहुंचीं लेकिन माता पिता के आगमन की सूचना पर कार्तिकेय जी उस स्थान से कहीं और चले गए। उनके जाने के बाद क्रौंच पर्वत पर भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए, तभी से वे मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हैं। मल्लिका माता पार्वती का नाम है, जबकि अर्जुन भगवान शंकर को कहा गया।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के पास भगवान शिव का तीसरा ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां रोजाना भस्म आरती होती है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहां भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे। पुराणों में कहा गया है कि उज्जैन की स्थापना खुद ब्रह्मा जी ने की थी, जहां भगवान शिव ने दूषण नामक राक्षस का वध किया था और भक्तों के निवेदन पर यहां विराजमान हो गए।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के दो ज्योतिर्लिंग हैं। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के अलावा मालवा क्षेत्र में नर्मदा नदी के किनारे एक पर्वत पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है जो कि 12 ज्योतिर्लिंगों में चौथे स्थान पर है। ओंकारेश्वर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर जिस स्थान पर बना है, उसका आकार ओम जैसा है।

कथा प्रचलित है कि राजा मन्धाता ने नर्मदा नदी के किनारे पर्वत पर घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया। जब शिवजी प्रकट हुए तो उन से वहीं निवास करने का वरदान मांग लिया। मान्यता है कि अगर श्रद्धालु दूसरे तीर्थों का जल लाकर ओंकारेश्वर बाबा पर अर्पित करते हैं तो उनके सारे तीर्थ पूरे हो गए।

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