Breaking News

अब जल्द मिल सकेंगी गंभीर बीमारियों की विदेशी दवाएं, क्लीनिकल ट्रायल की जरूरत नहीं; सरकार का बड़ा फैसला

नई दिल्ली:  केंद्र सरकार ने विदेशी दवाओं को लेकर गुरुवार को बड़ा फैसला लिया है। अब अगर कोई दवा अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूरोपीय संघ (ईयू) में किए गए नैदानिक परीक्षण (क्लीनिकल ट्रायल) में सफल होती है और उसे वहां के दवा नियामक से मंजूरी मिल जाती है, तो उस दवा के लिए भारत में क्लीनिकल ट्रायल की जरूरत नहीं होगी। यानी गंभीर बीमारियों की दवाओं की बिक्री भी सीधे भारत में हो सकेगी।

यह छूट केवल पांच श्रेणी में दी गई है। इनमें दुर्लभ बीमारियों की दवाएं, जीन और सेसुलर थेरेपी उत्पाद, महामारी की स्थिति में उपोयग की जाने वाली नई दवाएं, विशेष रक्षा उद्देश्य से उपयोग की जाने वाली नई दवाएं और महत्वपूर्ण चिकित्सीय प्रगति वाली नई दवाएं शामिल हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के इस फैसले के बाद कैंस, स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) और डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमए) जैसी दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए दवाओं की शीघ्र उपलब्धता सुनिश्चित करेगी।

डीजीसीआई ने इसको लेकर सात अगस्त एक आदेश जारी किया। इसमें कहा गया, “नई औषधि और नैदानिक परीक्षण नियम 2019 के नियम 101 के मुताबिक, केंद्रीय लाइसेंस अनुमोदन प्राधिकरण, केंद्र सरकार की मंजूरी से समय-समय पर अध्याय-X के तहत नई दवाओं के अनुमोदन के लिए स्थानीय क्लीनिकल ट्रायल की छूट पर विचार करने और नियमों के अध्याय-V के तहत क्लीनिकल ट्रायल के संचालन की अनुमति देने के लिए देशों के नाम निर्दिष्ट कर सकता है।”

एक अधिकारी ने बताया कि अब तक औषध और प्रसाधन सामग्री अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत अमेरिका, ब्रिटेन और ईयू की पहले से अनुमोदित कई दवाएं भारतीय रोगियों के लिए तत्काल उपलब्ध नहीं हैं। दरअसल, इन दवाओं के क्लीनिकल ट्रायल करना और भारत में विपणन (मार्केटिंग) करने से पहले सुरक्षा और प्रभावकारिता संबंधी आंकड़े तैयार करना बाकी है। हालांकि, नई औषधि और नैदानिक परीक्षण नियम 2019 के नियम 101 के तहत डीसीजीआई को नई दवाओं की मंजूरी के लिए स्थानीय क्लीनिकल ट्रायल में छूट पर विचार करने के लिए देशों निर्दिष्ट करने की अनुमति है।

About News Desk (P)

Check Also

संविधान में समाजवादी-धर्मनिरपेक्ष जैसे शब्द जाेड़ने के केस में फैसला सुरक्षित; कोर्ट ने की कई अहम टिप्पणी

नई दिल्ली। संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष (Socialist and Secular) शब्द शामिल किए ...