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वारफेयर की पारंपरिक परिभाषाओं को चुनौती ‘पेजर’ हमला

21वीं सदी की तकनीकी क्रांति ने संचार और सूचना के क्षेत्र में जबरदस्त बदलाव किए हैं, और इसके साथ ही साइबर सुरक्षा और साइबर हमलों का भी विस्तार हुआ है। आधुनिक युग में, साइबर अटैक पारंपरिक युद्ध रणनीतियों से एक कदम आगे निकल चुके हैं। पेजर-हमले (Pager Attacks) जैसे साइबर हमलों ने, न केवल वारफेयर की पारंपरिक परिभाषाओं को चुनौती दी है, बल्कि उन्होंने सुरक्षा प्रणाली को भी नए सिरे से परिभाषित किया है। इस लेख में, हम पेजर-हमलों के माध्यम से साइबर वारफेयर के विकास और इसके प्रभावों पर गहन विचार करेंगे।

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पेजर-हमला एक विशेष प्रकार का साइबर अटैक है, जिसमें संचार नेटवर्क या उपकरणों को निशाना बनाया जाता है, विशेष रूप से उन उपकरणों को जो महत्वपूर्ण डेटा प्रसारित करते हैं। पेजर (Pager) पारंपरिक रूप से एक मोबाइल संचार उपकरण था, जिसका उपयोग सूचनाओं को भेजने और प्राप्त करने के लिए किया जाता था। हालांकि अब इसका उपयोग सीमित हो गया है, लेकिन इसका मॉडल साइबर हमलों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है। पेजर-हमले का तात्पर्य है एक प्रकार का हमला जिसमें संचार प्रणाली को ठप किया जाता है या उसमें घुसपैठ की जाती है, जिससे सिस्टम अस्थिर हो जाता है और डेटा की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।

वारफेयर की पारंपरिक परिभाषाओं को चुनौती 'पेजर' हमला

साइबर अटैक एक संरचनात्मक हमला होता है जिसमें नेटवर्क, सिस्टम या डिवाइस को निशाना बनाकर उसमें सेंध लगाई जाती है। इसका उद्देश्य डेटा चोरी करना, सिस्टम को नुकसान पहुंचाना, या किसी संगठन को वित्तीय और सूचना के स्तर पर नुकसान पहुंचाना हो सकता है। वारफेयर (युद्ध) के परिप्रेक्ष्य में, साइबर अटैक एक नई रणनीति के रूप में उभर कर सामने आया है, जिसे डिजिटल या साइबर वारफेयर कहा जाता है।

पारंपरिक युद्ध में सैनिक और हथियारों का उपयोग होता है, लेकिन साइबर वारफेयर में जानकारी और नेटवर्क महत्वपूर्ण हथियार होते हैं। पेजर-हमले इस साइबर वारफेयर की नई लहर का हिस्सा हैं, जहां संचार प्रणाली पर हमले किए जाते हैं। इन हमलों में न केवल सरकारी संस्थान बल्कि निजी कंपनियां और यहां तक कि आम लोग भी शामिल हो सकते हैं। पेजर-हमलों की कार्यप्रणाली बेहद जटिल होती है, जिसमें हमलावर नेटवर्क की कमजोरियों का फायदा उठाते हैं। इसके मुख्य चरणों में निम्नलिखित तत्व शामिल होते हैं..

01- हमलावर सर्वप्रथम नेटवर्क या डिवाइस के प्रवेश बिंदुओं की पहचान करता है। यह प्रवेश बिंदु कोई खुला पोर्ट, कमजोर पासवर्ड, या अप्रयुक्त नेटवर्क सेवा हो सकती है।
02- एक बार जब प्रवेश बिंदु का पता चलता है, तो हमलावर नेटवर्क में घुसपैठ कर सकता है और उसके द्वारा संचालित डेटा को निगरानी या बाधित कर सकता है। इस घुसपैठ में सबसे अधिक संचार चैनलों को प्रभावित किया जाता है ताकि सूचना का प्रवाह रुक जाए या गड़बड़ी हो।
03- हमलावर आमतौर पर नेटवर्क में मैलवेयर या स्पायवेयर स्थापित करता है, जो डेटा चुराने या सिस्टम को कमजोर करने का काम करता है।
04- अंतिम चरण में हमलावर संचार सिस्टम या डिवाइस को ठप कर देता है, जिससे जानकारी तक पहुंचना या उसका उपयोग करना असंभव हो जाता है। यह साइबर अटैक के मुख्य लक्ष्यों में से एक है-संसाधनों को अस्थिर करना।

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साइबर वारफेयर के परिप्रेक्ष्य में पेजर-हमलों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हमले एक नई किस्म की युद्ध रणनीति का हिस्सा बन चुके हैं, जिसमें किसी देश की या संगठन की संचार प्रणाली पर हमला कर उसे ठप किया जा सकता है। इसका उद्देश्य केवल सैन्य या सुरक्षा सेवाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि वित्तीय संस्थानों, स्वास्थ्य सेवाओं, और यहां तक कि बिजली वितरण सेवाओं को भी निशाना बनाया जा सकता है।

पेजर-हमले सीधे तौर पर सूचना युद्ध से जुड़े हैं, जिसमें महत्वपूर्ण जानकारी को बाधित करना, उसे बदलना, या उसे सार्वजनिक करना शामिल होता है। ऐसे हमलों का सबसे बड़ा उदाहरण तब सामने आया जब ईरान की परमाणु सुविधा पर साइबर अटैक हुआ, जिसे स्टक्सनेट वायरस द्वारा अंजाम दिया गया। यह हमला साइबर वारफेयर का एक ज्वलंत उदाहरण है, जिसमें संचार प्रणाली को निशाना बनाकर महत्वपूर्ण जानकारी को नियंत्रित किया गया।

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       शाश्वत तिवारी

पेजर-हमलों का सबसे बड़ा प्रभाव नेटवर्क और सिस्टम की सुरक्षा पर पड़ता है। जब एक संचार प्रणाली ठप हो जाती है, तो इसका सीधा प्रभाव सिस्टम की कार्यप्रणाली और डेटा सुरक्षा पर पड़ता है। इसके अलावा, इस प्रकार के हमले किसी भी संगठन की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचाते हैं। संगठनों को साइबर हमलों के बाद पुनः सिस्टम बहाल करने के लिए बड़े स्तर पर संसाधनों की आवश्यकता होती है।

इसके अलावा, पेजर-हमले आम नागरिकों और कंपनियों को भी प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी बैंक की संचार प्रणाली को ठप कर दिया जाता है, तो ग्राहक सेवाओं में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे लाखों लोगों का वित्तीय लेन-देन  ठप हो सकता है। इसके अतिरिक्त, यदि चिकित्सा सेवा की संचार प्रणाली पर हमला होता है, तो आपातकालीन सेवाओं में देरी हो सकती है, जिससे जीवन की हानि भी संभव है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने पेजर-हमलों से निपटने के लिए कई प्रकार की रणनीतियाँ विकसित की हैं। इनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित उपाय शामिल हैं..

01- नेटवर्क और सिस्टम में मजबूत सुरक्षा प्रणाली को लागू करना आवश्यक है। इसमें फायरवॉल, एंटीवायरस, और इन्क्रिप्शन जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

02- यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि किसी भी नेटवर्क के प्रवेश बिंदु को नियमित रूप से मॉनिटर किया जाए, ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को समय रहते पहचाना जा सके।

03- सभी डिवाइस और नेटवर्क को नियमित रूप से सुरक्षा अपडेट्स प्रदान करना आवश्यक है। ऐसा न करने पर कमजोरियां उत्पन्न हो सकती हैं, जिनका फायदा साइबर हमलावर उठा सकते हैं।

04- डेटा का नियमित बैकअप करना साइबर हमलों से बचने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि हमला होता भी है, तो बैकअप के माध्यम से सिस्टम को पुनः स्थापित किया जा सकता है।

05- सभी संगठनों के पास आपातकालीन योजनाएँ होनी चाहिए, ताकि साइबर हमले की स्थिति में तेज़ी से प्रतिक्रिया की जा सके।

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पेजर हमले और साइबर वारफेयर के खतरों को ध्यान में रखते हुए, सभी संगठनों और सरकारों को अपनी साइबर सुरक्षा रणनीतियों को मजबूत करने की आवश्यकता है। साइबर अटैक का खतरा लगातार बढ़ रहा है, और इससे निपटने के लिए सतर्कता, सुरक्षा उपाय, और नवीनतम तकनीकी साधनों का उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है।

यह लेख पेजर-हमलों और उनके साइबर वारफेयर में भूमिका को व्यापक रूप से समझने के लिए है। साइबर सुरक्षा के इस नए युग में पेजर-हमले एक महत्वपूर्ण विषय बन गए हैं, जिन्हें समझना और उनसे निपटने की रणनीतियाँ बनाना अत्यावश्यक है। (लेखक स्वतंत्र पत्रकार है)

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