कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने 2022 में हुबली में हुए पुलिस पर हमले के मामले में आरोपियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को वापस लेने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसले के बाद राज्य की राजनीति गर्म हो गई है। बीजेपी कांग्रेस सरकार के इस फैसले पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। इसके साथ ही बीजेपी ने राज्य सरकार पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप भी लगाया है।
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क्या है 2022 हुबली केस?
साल 2022 में हुबली जिले में एक आरोपी ने कथित तौर पर सोशल मीडिया पर अपमानजनक सामग्री पोस्ट की थी। जिससे नाराज अल्पसंख्यक समुदाय के लगभग 150 लोगों ने 16 अप्रैल, 2022 को रात करीब 10.30 बजे उत्तरी कर्नाटक के ओल्ड हुबली टाउन पुलिस स्टेशन के पास डंडों से लैस होकर जमा हुए थे। सूत्रों की माने तो कर्नाटक सरकार की तरफ से यह उन 43 मामलों में से एक है, जिन्हें राज्य मंत्रिमंडल ने गुरुवार को अपनी बैठक में वापस लेने का फैसला किया है।
भीड़ ने पुलिस से की थी आरोपी को सौंपने की मांग
हुबली दंगे के बारे में जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया था कि वहां उपस्थित भीड़ मांग कर रही थी कि पुलिस आरोपी को उन्हें सौंप दें, ताकि वे उसे वहीं खत्म कर सकें। उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि जो कोई भी आरोपी की बचाएगा, उसे भी नहीं बख्शा जाएगा। इस दौरान भीड़ ने कथित तौर पर आरोपी रक्षा करने वाले पुलिसकर्मियों को मारने के नारे लगाए। सूत्रों ने बताया कि पुलिस इंस्पेक्टर ने उन्हें अपना अड़ियल रुख छोड़ने और मनाने की कोशिश की, लेकिन इस दौरान आक्रोशित भीड़ हर हाल में आरोपी को हासिल करना चाहते थे।
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आक्रोशित भीड़ ने पुलिस पर डंडे और पत्थरों से किया था हमला
इसके बाद भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर डंडों और पत्थरों से हमला किया और जिसमें कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए थे। इस दौरान आक्रोशित भीड़ पुलिस स्टेशन में मौजूद कई सरकारी और निजी वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया था। इसके साथ ही इस मामले में अधिकारी ने आगे बताया कि ओल्ड हुबली टाउन पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ दंगा, हत्या का प्रयास, सरकारी अधिकारियों पर हमला, सरकारी और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था।