Breaking News

गंगा उत्सव में ‘फिश रैंचिंग’ से रूबरू होंगे लोग, जानें जलीय कृषि में इसकी अहमियत क्या

4 नवंबर को हरिद्वार के चंडी घाट पर गंगा उत्सव 2024 का भव्य आयोजन होने जा रहा है। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) द्वारा आयोजित किया जा रहा है। हर वर्ष इसका आयोजन गंगा नदी को ‘राष्ट्रीय नदी’ घोषित किए जाने की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में किया जाता है। गंगा उत्सव 2024 को नदी उत्सव के रूप में एक मॉडल कार्यक्रम के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। कार्यक्रम में कई कई विषयों के बारे में चर्चा होगी साथ ही गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए लोगों को जागरूक भी किया जाएगा। इसमें लोगों को रिवर रैंचिंग यानी मछली पालन के बारे में जागरूक किया जाएगा।

क्या है उत्सव गंगा कार्यक्रम?
गंगा उत्सव एक वार्षिक महोत्सव है, जो भारत की पवित्र नदी गंगा के सम्मान में मनाया जाता है। यह उत्सव नदी के सांस्कृतिक, धार्मिक और पारिस्थितिकी महत्व को उजागर करता है। गंगा उत्सव का मुख्य उद्देश्य गंगा नदी के संरक्षण, स्वच्छता और उसके वातावरण की रक्षा करना है। यह उत्सव लोगों को गंगा के प्रति जागरूक करने और उसकी महत्ता को समझाने का एक माध्यम है।

फिश रैंचिग की शुरुआत
फिश रैंचिंग को रिवर रैंचिंग के नाम से भी जाना जाता है। इसकी शुरुआत 2021 में उत्तर प्रदेश से की गई थी। जहां केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने इसकी शुभारंभ किया था। इसी समय, अन्य चार राज्यों उत्तराखंड, उड़ीसा, त्रिपुरा और छत्तीसगढ़ ने भी राष्ट्रव्यापी नदी पशुपालन कार्यक्रम के शुभारंभ में भाग लिया।

नदी पशुपालन कार्यक्रम को प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) के तहत विशेष गतिविधि के रूप में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य भूमि और जल का विस्तार, गहनता, विविधता और उत्पादक उपयोग करके मछली उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाना है।

क्या होती है फिश रैंचिंग
नदी पशुपालन (river ranching) जलीय कृषि का एक रूप है जिसमें मछली की एक प्रजाति की आबादी को उनके जीवन के पहले चरण के लिए पकड़ में रखा जाता है, फिर छोड़ दिया जाता है, और बाद में वयस्क होने पर उनका शिकार किया जाता है।

फिश रैंचिंग की आवश्यकता
बढ़ती मानव आबादी के साथ, उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन के लिए मछली की मांग धीरे-धीरे बढ़ी है। किफायती और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार तरीके से मत्स्य संसाधनों के सतत उपयोग और संरक्षण को बढ़ावा देना जरूरी हो गया है। नदी पशुपालन कार्यक्रम एक ऐसी गतिविधि है जो स्थायी मत्स्य पालन को प्राप्त कर सकती है, जैव विविधता का संरक्षण कर सकती है, सामाजिक-आर्थिक लाभों को अधिकतम कर सकती है।

About News Desk (P)

Check Also

मुडा घोटाले में लोकायुक्त के सामने पेश होंगे सीएम सिद्धारमैया, सीबीआई को जांच सौंप सकता है हाईकोर्ट

बंगलूरू:  कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुडा घोटाले के मामले में लोकायुक्त के सामने पेश ...