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लड्डू विवाद के बाद TTD के अध्यक्ष बने बीआर नायडू, मंदिर में वेंकटेश्वर स्वामी के सामने ली शपथ

तिरुपति। आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में हुए लड्डू प्रसादम विवाद के बाद राज्य सरकार ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ट्रस्ट बोर्ड का गठन किया। इसके अध्यक्ष बीआर नायडू (BR Naidu) बनाए गए हैं। उन्होंने बुधवार को टीटीडी ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर शपथ ली। टीटीडी वेकंटेश्वर मंदिर का प्रबंधन संभालता है। टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी जे श्यामला राव ने बीआर नायडू को मंदिर के अंदर वेंकटेश्वर स्वामी के समक्ष शपथ दिलाई। इसके बाद उन्होंने परिवार के साथ मंदिर के दर्शन किए।

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लड्डू विवाद के बाद TTD के अध्यक्ष बने बीआर नायडू, मंदिर में वेंकटेश्वर स्वामी के सामने ली शपथ

कौन हैं बीआर नायडू?

अनुभवी मीडिया उद्यमी बोलिनेनी राजगोपाल नायडू (बीआर नायडू) हिंदू संस्कृति, मीडिया की स्वतंत्रता और सामाजिक कल्याण के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। इस अध्यक्ष पद के लिए वह बहुत सारा अनुभव लेकर आए हैं। चित्तूर के साधारण किसान परिवार में जन्मे बीआर नायडू का ग्रामीण परिवेश से लेकर सफल व्यवसायी बनने तक का सफर उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।

बीएचईएल में करियर के बाद उन्होंने बिजनेस में कदम रखा और ट्रैवल, मीडिया और एफएमसीजी में सफल बिजनेस स्थापित किए। बीएचईएल में जनरल सेक्रेटरी के रूप में 12,000 कर्मचारियों को संभालते हुए नायडू ने हमेशा उनकी सफलता के लिए प्रयास किया। बीआर नायडू की पत्नी विजयलक्ष्मी ने भी लंबे समय तक उसी पीएसयू में काम किया।

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एनटीआर के समर्थन में किया आंदोलन

नायडू ने बीएचईएल के कल्चरल सेक्रेटरी के रूप में भी काम किया। इसके बाद उनको एनटी रामाराव से मिलने का मौका मिला। रामाराव से राजनीति में शामिल होने का भी आग्रह किया था। इसके बाद नायडू ने “प्रजास्वामी पुनरुद्धार” आंदोलन में एक्टिव रूप से भाग लिया। ये आंदोलन 1983 में शुरू हुआ था, जब आंध्र प्रदेश की राजनीति पर संकट छाया हुआ था। ये आंदोलन एनटीआर को प्रदेश का सीएम बनाने के समर्थन में शुरू हुआ था।

देशद्रोह समेत कई कार्रवाईयों से गुजरे

आंध्र प्रदेश में नायडू का टीवी पांच चैनल निष्पक्ष पत्रकारिता में सबसे आगे रहा है और लोगों के हितों की वकालत करता है। अमरावती राजधानी परियोजना के लिए भी उन्होंने मुखरता से अपनी बात रखी। पिछली सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ उनका रुख हमेशा से कड़ा रहा है और अपने इसी अडिग रुख के चलते उनको पिछली सरकारों की ओर से देशद्रोह समेत कई कार्रवाइयों का सामना करना पड़ा।

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