जटायु के शक्ति त्याग पर सुनाई कथा, कहा शक्ति के सदुपयोग के कारण आज लाखों साल बाद भी हो रही चर्चा
बिधूना/औरैया। कस्बा में आयोजित रामकथा के विश्राम दिवस पर बीती देर रात आचार्य रामस्वरूप जी ने सम्पत्ति , शक्ति व समय के सदुपयोग प्रसंग की कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा गिद्ध राज जटायु ने अपनी शक्ति का सदुपयोग करते हुए सीता जी की रक्षा के लिए समर्पित किया, जिस कारण आज लाखों साल बाद भी उनकी चर्चा की जाती है।
उन्होंने रामकथा की शुरुआत में मंगल का जिक्र किया। कहा भगवान के नाम, रूप, लीला, धाम सभी में मंगल है और हनुमान जी मंगलमूर्ति हैं। कहा सभी प्रकार के अमंगल की जड़ से समाप्त करने की क्षमता हनुमान जी में है। कहा भगवान की शरण में जाने से संकट दूर हो जाते हैं। कहा जब जगत पर संकट आता है तो उसे राम दूर करते हैं और जब राम पर संकट आता है तो उसे हनुमान दूर करते हैं। इसीलिए उन्होंने संकट मोचक कहा जाता है। जिन्होंने अपना पूरा समय भगवान राम को समर्पित कर उसका सदुपयोग किया।
उन्होंने कहा कि हनुमान ने समय, केवट ने सम्पत्ति व गिद्ध राज ने शक्ति का सदुपयोग राष्ट्र व भगवान के लिए किया। जिस कारण आज भी केवट व जटायु को याद किया जा रहा है। जबकि हनुमान जी तो अजर अमर हैं। कहा जटायु तो खग संस्कृति के थे फिर भी उन्होंने अपने साथियों की बात न मानकर अपने जीवित रहने तक शक्ति का सदुपयोग करते हुए उसे सीता जी रक्षा में समर्पित कर किया।
कहा कि सतयुग में जटायु को सीता जी का अपमान बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने सीता जी की रक्षा हेतु अपनी शक्ति का सदुपयोग किया। रावण द्वारा मरणासन्न किए जाने के बाद भी उन्हें अपने जीवन के अंतिम समय में भगवान की गोद मिली, वहीं द्वापर में भीष्म ने चुपचाप द्रोपदी का अपमान देखा और शक्ति का कोई प्रयोग नहीं किया, तो उन्हें अपने जीवन के अंतिम समय में वाणों की शैय्या मिली। उन्होंने कहा कि जटायु की तरह अपनी शक्ति भगवान, राष्ट्र व सत सनातन धर्म के लिए समर्पित कर दो, इंसान नहीं भगवान बन जाओगे और जटायु की याद किए जाओगे। यही शक्ति, समय व सम्पत्ति का सदुपयोग है।
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उन्होंने अविरल भक्ति विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि भगवान के मिलने पर जटायु ने जीवन दान न मांग अविरल भक्ति मांगी थी। यानि जीव व ब्रह्म इन दोनों में निरंतरता बनी रहे। यह है अविरल भक्ति। जिसमें बिलगता एक छड़ नहीं होती। भगवान उसे अलग नहीं होने देते। तभी तो जटायु शक्ति नारायण के रूप में प्रकट हुए।
कहा कि मैं मात्र शक्ति का बहुत आदर करता हूं। जिसके पास चरित्र की ताकत है, उससे दुनियां पराजित हो जाएगी। गिद्ध राज चरित्र के बल पर ही सीता को बचाने के लिए रावण से लड़ें थे और उसे घायल कर बेहोश कर दिया था। बाद में जब रावण ने जटायु के पंख काट दिए थे तब भी उन्होंने सीता जी से कहा था कि बेटी चिंता मत करना इसका सर्वनाश होगा। क्यों कि इसका चरित्र ठीक नहीं है और तुमने पति धर्म की रक्षा की, तो वह तुम्हारी रक्षा करेंगे।
अंत में कहा कि कामदगिरि नाथ व गोर्वधन नाथ स्वयं में प्रमाणित हैं। कामदगिरि का प्रभाव है कि परिक्रमा व कामतानाथ के दर्शन करने से ही विषाद दूर हो जाते हैं। कहा दुनियां में भारत सबसे बड़ा आध्यात्मिक देश है। वह भी अपनी रामकथा राष्ट्र को मजबूत बनाने को समर्पित करते हैं। कहा सभी लोग अपनी सोच व हृदय में परिवर्तन करें तभी हिन्दू सनातन सुरक्षित रहेगा।
रिपोर्ट – संदीप राठौर चुनमुन