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133 दिन बाद कुएं में मिला किसान का क्षत विक्षत शव, कई हिस्सों में बंटा था शव

हमीरपुर:  भरुआ सुमेरपुर थानाक्षेत्र के टेढ़ा गांव से 133 दिन पहले लापता किसान का क्षत-विक्षत शव देवगांव, टेढ़ा, पंधरी मौजा की सीमा पर स्थित काशी कुएं में मिला। शव कई हिस्सों में बंटा पाया गया। परिजनों ने हत्या करके शव कुएं में फेंके जाने का आरोप लगाया है। आरोप है कि गुमशुदगी दर्ज करने के बाद पुलिस ने किसान की तलाश ही नहीं की।

टेढ़ा गांव निवासी शीलू उर्फ जितेंद्र सिंह (45) बीती 17 जुलाई की सुबह पत्नी नीलम सिंह को खेत में जाने की बात कहकर घर से निकला था। इसके बाद वह अपने खेत पर नहीं पहुंचा। उसका कहीं पता भी नहीं चला। 18 जुलाई को पत्नी ने थाने में पति की गुमशुदगी दर्ज कराई गई थी। इसके बाद भी पुलिस उसका सुराग नहीं लगा पाई। 26 नवंबर को पंधरी गांव निवासी पप्पू चौधरी के नलकूप के पास गंगा कुशवाहा के खेत पर बने काशी कुएं में पंधरी के एक चरवाहे ने शव उतराने की सूचना उसको दी। पप्पू चौधरी ने पुलिस को भी अवगत कराया, लेकिन मौके पर गई पुलिस ने कहा कि वह शव नहीं बल्कि खेतों में लगाने वाला पुतला है और मौके से लौट आई।

बुधवार को सुबह पंधरी निवासी शीलू के मामा श्यामस्वरूप सिंह ने डायल 112 को सूचना दी। इसके बाद टीम मौके पर पहुंची और कुएं में झांक कर शव होने की पुष्टि की। थानाध्यक्ष अनूप कुमार सिंह ने फायर ब्रिगेड को सूचना देकर बुलाया। फायर टीम के केशव प्रसाद, मणिदेव, अजीत सिंह, श्रवण कुमार व गया प्रसाद ने कुएं में जाल डालकर शव को बाहर निकला। तब तक मृतक के पुत्र हर्ष (17), हर्षित (15) व भतीजा वैभव सिंह (22), ममेरे भाई अभिषेक सिंह निवासी पंधरी भी मौके पर पहुंच गए। सभी ने मृतक की कपड़ों से शीलू की शिनाख्त की। इसके बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया है। मृतक के दोनों पुत्रों, भतीजे व ममेरे भाई ने हत्या करके शव फेंकने का आरोप लगाया है। बताया कि शव कई हिस्सों में बंटा था।

सिर शव से अलग कुएं में उतरा रहा था, होगा डीएनए
शीलू का शव बुरी तरह से क्षत-विक्षत हो गया था। सिर शव से अलग कुएं में उतरा रहा था। परिजनों ने बताया कि जिस जगह पर शव मिला है। उस जगह पर कभी किसी का आना-जाना नहीं होता था। थानाध्यक्ष अनूप सिंह ने बताया कि गुमशुदगी दर्ज है। मामला संदिग्ध है। जांच कराई जा रही है। प्रमाणिक शिनाख्त के लिए शव का डीएनए भी कराया जाएगा। तभी स्पष्ट होगा कि शव किसका है। उन्होंने बताया कि पहचान के लिए सिर्फ कपड़े ही साक्ष्य नहीं हो सकते हैं।

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