बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भड़काऊ भाषणों के प्रसारण पर रोक लगा दी गई है। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने सभी अधिकारियों को पूर्व पीएम के भड़काऊ भाषणों को सोशल नेटवर्किंग प्लेटफार्म से हटाने के निर्देश दिए हैं। बुधवार को बांग्लादेश छोड़ने के बाद पहली बार शेख हसीना ने वर्चुअली संबोधन में देश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद युनूस पर हमला बोला था।
बांग्लादेश संगबाद संस्था के मुताबिक न्यायाधीश एमडी गोलाम मुर्तजा मौजूमदार की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने एक आदेश जारी किया। आदेश में अधिकारियों को हसीना के भड़काऊ भाषण को सोशल मीडिया से हटाने और भविष्य में इसके प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। अभियोजक अधिवक्ता अब्दुल्लाह अल नोमान ने कहा कि न्यायाधिकरण ने आईसीटी विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग को आदेश का पालन करने के निर्देश दिए। अभियोजक ने दायर याचिका में कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भड़काऊ भाषणों को हटाया जाए। क्योंकि गवाहों और पीड़ितों को डर लग सकता है या जांच में बाधा आ सकती है।
अभियोजक गाजी एमएच तमीम ने कहा कि दुनिया भर के हर कानून और हर देश में भड़काऊ भाषण देना एक अपराध है। शेख हसीना को भाषण में यह कहते हुए सुना गया कि उन्हें 227 लोगों को मारने का लाइसेंस मिला है। उनके खिलाफ इतने ही मामले दर्ज किए गए हैं। इन भाषणों के जरिये उन्हें अपने खिलाफ मामलों के पीड़ितों और गवाहों को धमकियां देते हुए भी सुना गया।
अंतरिम सरकार के प्रमुख पर बोला था हमला
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पहली बार मोर्चा संभालते हुए, देश में अल्पसंख्यकों के कथित उत्पीड़न को लेकर देश के अंतरिम नेता मुहम्मद यूनुस पर तीखा हमला किया था। न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में वर्चुअल संबोधन में उन्होंने मोहम्मद यूनुस पर ‘नरसंहार’ करने और हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की तरह ही उनकी और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की योजना बनाई गई थी। उन्होंने कहा था कि अल्पसंख्यकों पर यह अत्याचार क्यों किया जा रहा है? उन्हें बेरहमी से क्यों सताया जा रहा है और उन पर हमला क्यों किया जा रहा है? लोगों को अब न्याय का अधिकार नहीं है… मुझे कभी इस्तीफा देने का समय भी नहीं मिला। शेख हसीना ने कहा कि उन्होंने हिंसा को रोकने के उद्देश्य से अगस्त में बांग्लादेश छोड़ दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।