उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित काकोरी ट्रेन एक्शन के शताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य में लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग में शनिवार दिनांक 14 दिसम्बर 2024 को एक महत्वपूर्ण व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें प्रोफेसर हेरम्ब चतुर्वेदी (पूर्व विभागाअध्यक्ष एवं डीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज) ने ‘काकोरी ट्रेन एक्शन, उपनिवेशवाद विरोधी प्रतिरोध और इसके व्यापक निहितार्थ’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।
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विभागाध्यक्ष प्रो दिनेश कुमार ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। प्रोफेसर चतुर्वेदी ने व्याख्यान के प्रारंभ में बताया कि इतिहास को भली-भांति समझने के लिए आवश्यक है कि उसकी पृष्ठभूमि को समझा जाए। ठीक इसी प्रकार यदि हमे काकोरी ट्रेन एक्शन की घटना को समझना है तो हमे सन् 1905 के बंगाल विभाजन की ओर रुख करना होगा जहां से क्रांतिकारी आंदोलन की चिंगारी को बढ़ावा मिला।
भारत को मिली स्वतंत्रता के पीछे सन् 1905 एवं इसके बाद घटित होने वाली अनेकों क्रांतिकारी गतिविधियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस व्याख्यान सत्र का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को इस विचार से प्रेरित कराना था की मातृभूमि के लिए हँसते- हँसते फांसी के फंदे पर झूल जाने वाले अमर बलिदानियों के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उन बलिदानियों को उनके सपनों का भारत बनाने में कोई कसर ना छोड़े। ऐसा तभी संभव होगा जब राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक पूर्ण निष्ठा से भारत के नवनिर्माण में अपना योगदान दें।
इसके साथ ही छात्रों को संबोधित करते हुए प्रोफेसर चतुर्वेदी ने यह संदेश भी दिया की छात्र ज्ञान प्राप्ति के लिए अच्छी पुस्तकों एवं विद्वानों द्वारा दिए गए व्याख्यानों का अनुसरण करें जो उन्हे सत्य ज्ञान एवं तार्किक दृष्टि प्रदान करने में सहायक हो एवं युवा पीढ़ी को भ्रमित होने से रोक सकें। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन शोध छात्रा अंजली द्विवेदी एवं प्रज्ञा सिंह द्वारा किया गया।
धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम की निर्देशिका डॉ आकांक्षा सिंह द्वारा दिया गया। कार्यक्रम में विभाग से प्रो अमिता बाजपेयी, प्रो मुनेश कुमार, डॉ अर्पणा गोडबोले, डॉ किरण लता, डॉ नीतू सिंह, डॉ बीना, डॉ सूर्य नारायण तथा डॉ देवेन्द्र यादव सहित विभाग के शोध छात्रों व स्नातक एवं परास्नातक स्तर के 100 से अधिक छात्रों ने सहभागिता की।