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अमेरिका की ओर से भारत जैसे देशों पर व्यापारिक सख्ती क्यों? आरआईएस के कार्यक्रम में की गई चर्चा

विकासशील देशों की अनुसंधान व सूचना प्रणाली ( रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर डेलवलपिंग कंट्रीज, आरआईएस) की ओर से अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों पर नई दिल्ली में एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भारत के व्यापार संबंधों का विश्लेषण किया गया। कार्यक्रम के दौरान आरआईएस की टीम ने ‘अमेरिका रिकवरी की राह पर: फिर व्यापारिक कर्रवाई क्यों?’ विषय विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी।

कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि हाल के वर्षों में भारत ने अमेरिका को एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के उत्पादों का निर्यात किया। यह निर्यात मुख्य रूप से मत्स्य पालन, खनिज ईंधन, फार्मास्युटिकल, रत्न और आभूषण, विद्युत मशीनरी और उपकरण जैसे क्षेत्रों में किया गया। निर्यात में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मत्स्य पालन और रत्न व आभूषण क्षेत्र की रही। भारत अमेरिका का नौवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। अमेरिकी व्यापार घाटे में भारत का योगदान महज 3.2% है।

आरआईएस की ओर से व्यापार, टैरिफ और ट्रम्प पर आयोजित सत्र में प्रमुख व्यापार और क्षेत्रीय विशेषज्ञ शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान सचिन चतुर्वेदी, राजीव खेर, सुमंत चौधरी, प्रोफेसर एसके मोहंती, अतुल कौशिक, बिपुल चटर्जी, डॉ चिंतन वैष्णव और प्रणव कुमार जैसे विशेषज्ञ मौजूद रहे।

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