शनिवार 26 नवंबर 1994, शक संवत् 1916, मास अग्रहायण, तिथी शुक्ल पक्ष की द्वितीया, इस दिन मुंबई में पांच कन्याओं ने जन्म लिया। उन पांचों कन्याओं में एक कन्या जन्मी मुलुंड के एक मोहल्ले में। जन्म का समय था, सुबह के करीब 8 बजे, मृगशिरा नक्षत्र और कलभैरव जयंती का दिन। पिता उदय शाह और मां भारती शाह के आंगन में खुशियाँ फ़ैल गयी। लक्ष्मी और सरस्वती के रूप में पहली संतान ने जन्म लिया था। उदय और भारती बेहद खुश थे, वैसे भी कहते है की बेटियां सौभाग्य से मिलती है, लेकिन उस कन्या भाग्य में कुछ और लिखा था। ये कोई साधारण कन्या नहीं थी। इस कन्या ने तो इस लिए जन्म लिया था, की एक दिन लाखो लोगों के लिए प्रेरणा श्रोत बने। उदय और भारती ने इस कन्या का नाम रखा मैत्री शाह, मैत्री का आना परिवार में खुशियों का सबब बन गया। लेकिन ये खुशियाँ सिर्फ चंद महीनो के लिए थी।
उदय और भारती ने कभी कल्पना नहीं किया होगा की इन खुशियों के पीछे एक बड़ी उदासी है, जीवन में दुःखो के ग्रहण की पूर्णमासी है। सिर्फ 6 महीने ही तो बीते थे अभी, तभी मैत्री की सेहत पर असर हुआ, और एक ऐसा सच सामने आया, जिसे स्वीकार कर पाना एक आम इंसान के लिए आसान नहीं था। मैत्री कंजेनिटल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नाम की बिमारी का शिकार हो गयी।
कंजेनिटल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक अत्यंत दुर्लभ और बहुत ही विषम neuromuscular विकार है, जो जन्म या शिशु अवस्था से ही मांसपेशियों में कमज़ोरी और हाइपोटोनिया प्रदर्शित करता है। जिसकी वजह से शरीर की हड्डियों के जॉइंट्स progressively stiff या fixed हो जाते है, या असामान्य शिथिलता प्रदर्शित करते हैं।
Congenital muscular dystrophies एक specific genes से जुड़ी होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप सामान्य उपयोग से ही मांसपेशियाँ अधिक आसानी से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। और मांसपेशियों की कमजोरी के कारण सांस लेने में समस्या पैदा होती है साथ ही facial muscle effects और variable spinal effects हो जाते है।
संकुचन से arthrogryposis, scoliosis, increased chance of fractures and pressure ulcers की संभावना बढ़ जाती है, developmental delay होने लगता है। बौद्धिक और सीखने संबंधी कठिनाइयां, vision और ocular muscle problems का सामना करना पड़ता है। कंजेनिटल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी ने फैसला सुना दिया था।
मैत्री का जीवन अब व्हील चेयर पर और किसी के सहारे कटना निश्चित था। इस बिमारी ने सिर्फ मैत्री की ज़िन्दगी नहीं बदल दिया था, बल्कि माँ बाप और रिश्ते नाते, सबकी ज़िन्दगी में कौतुहल मचा दिया था। मैत्री की ज़िन्दगी का फैसला अब उदय शाह और भारती शाह के हाथो में था। और दोनों दो राहे पर खड़े थे, एक राह थी, मैत्री की बेबस, लाचार और मोहताज ज़िन्दगी की, जैसी ज़िन्दगी दुनिया में कंजेनिटल मस्कुलर डिस्ट्रॉफीस के शिकार लाखो लोग जीते है, जिन्हें दुनिया दया और बेचारगी की नज़रो से देखती है। और एक राह थी, मैत्री की ज़िन्दगी जंग की राह पर ले जाना, जहाँ कंजेनिटल मस्कुलर डिस्ट्रॉफीस उसके सामने घुटने टेक दे, मैत्री आम इंसान की तरह ज़िन्दगी जी सके, किसी की मोहताज न रहे, बल्कि दुनियां के लिए प्रेरणाश्रोत बन जाए।
उदय शाह और भारती शाह ने फैसला कर लिया उनकी औलाद विजेता बनेगी, वो कोई सूरज की तरह चमकेगी और जग को अपनी रोशनी से नूरानी कर देगी। शायद ईश्वर की इच्छा भी यही थी, उदय शाह और भारती शाह समझ चुके थे, की ईश्वर के हर फैसले में खुश रहो,क्योकि ईश्वर वो नहीं देता जो आपको अच्छा लगता है, बल्कि ईश्वर वो देता है जो आपके लिए अच्छा होता है।
उदय और भारती ने कठिन राह पर चलने का फैसला ले लिया था। उदय बिजनेस मैन थे, उन्हें पता था जीवन में आने वाली कठिनाइयां उनके समाधान का तरीका भी बताती हैं। परिवार के लिए अब मैत्री एक नार्मल लड़की थी, उसे दया की नजरों से नहीं देखा जाता था, और मैत्री को भी इस बात का एहसास नही होने दिया गया कि वो किसी बीमारी की शिकार है, जो करना है करो, जिंदगी अपनी मर्जी के मुताबिक जियो।
मैत्री प्ले स्कूल जाने लगी, ट्राइस्किल चलाती, दोस्तो के साथ मस्ती करती, पेंटिंग करती, म्यूजिक इंस्ट्रुमेंटस पर उंगलियां फेर कर धुनें बुनती। ड्रामा लिखती और उसका डायरेक्शन भी करती। स्कूल में दोस्त बने, सबने मैत्री को प्यार दिया, अपना लिया, अपने में शामिल कर लिया, स्कूल के टीचर और स्टाफ ने भी अपना फ़र्ज़ निभाया। ये बात और है कुछ लोग उसे एलएन भी समझ लेते थे। ये सब सुनने में बहुत आसान लगता है, यकीनन मैत्री लोगों के लिए प्रेरणा श्रोत थी, लेकिन इस कामयाबी और मुस्कराहट के पीछे एक बड़ा संघर्ष था, दर्द भी था।
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मैत्री को हर रोज़ फिजियोथेरपी करानी पड़ती है,हर हफ्ते अलग अलग डाक्टरों से मिलने जाना पड़ता है, जहाँ स्कुल की छुटियों में दूसरे बच्चे उस छुट्टी का पूरा आनंद लेते है, घूमने जाते है, मस्ती करते है। वहीं मैत्री डाक्टरों और हॉस्पिटल के चक्कर काटती थी। लेकिन सबसे अहम् जो बात थी, वो ये की मैत्री का हौसला बुलंद था, उसने कभी खुद को लाचार और कमज़ोर नहीं समझा, कमज़ोर होती तो शायद हार जाती,थक जाती। मैत्री ने 2010 में SSC परीक्षा में 95.09 percent marks करने के बाद PwD category में MHT CET में first rank हासिल किया।
2016 में KJ Somaiya College of Engineering से कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में ग्रेजुएटेड किया। उन्होंने वर्तमान में मैत्री जॉर्जिया टेक यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में ऑनलाइन मास्टर की डिग्री हासिल की। स्नातक करने के पश्चात् जब मैत्री ने नौकरी करने का फैसला लिया, एक बड़ी चुनौती सामने आयी। वो ये की कोई भी कंपनी मैत्री को काम पर रखने के लिए तैयार नहीं थी, और उनके पास अपना खुद का करियर बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। वजह साफ़ थी, सोच में फर्क।
मैत्री को लगा की दूसरे विकलांग व्यक्तियों को भी उनके जैसा ये दुःख सहना पड़ता होगा, और फिर मैत्री ने एक और बड़ा कदम उठाया, दुनियां ने राह नहीं दिया तो उसने खुद अपनी राह बनाने का फैसला कर लिया, और 2012 में उन्होंने व्हीलचेयर पर बैठे लोगों को जोड़ने, शिक्षित करने और सशक्त बनाने के लिए विल्सऑनव्हील्स नामक एक एनजीओ शुरू किया और और उन्हें राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने young change maker के रूप में सम्मान मिला।
मैत्री ने जुलाई 2017 में माइंड एसेट्स लॉन्च किया, विकलांग लोगों के लिए ऑनलाइन डिजिटल अवसर प्रदान करना चाहती थी ताकि भौतिक बुनियादी ढाँचा उनके करियर को शुरू करने में बाधा न बने। साथ ही संगठनों को संभावित उम्मीदवारों से जोड़ना और उन्हें सक्षम बनाना है और उन्हें चुनौतियों से निपटने में मदद करना है ताकि वे उनसे सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त कर सकें। मैत्री ने दिव्यांग उम्मीदवारों को नौकरी के अनुकूल कौशल के साथ आगे बढ़ाना शुरू किया, माइंड एसेट्स भारत में “योग्यता-आधारित समावेशिता” शुरू करने पर केंद्रित है।
संगठन ने उद्योग में कई पहलें शुरू की, इसने कंपनियों को वित्तीय सरकारी लाभों का लाभ उठाने, गिग इकॉनमी के साथ तालमेल बिठाने, कर्मचारी स्थिरता और विश्वसनीयता को सक्षम करने, परियोजना-आधारित प्रतिभा खोजने, कभी भी-कहीं भी कर्मचारी पाने, घर से काम करके बुनियादी ढांचे पर बचत करने आदि पर ध्यान केंद्रित किया।
इस दौरान मैत्री को तीन बार घातक अटैक आए, तीनो बार डॉक्टर्स ने हाथ खड़े कर दिए, लेकिन मैत्री पैदा ही हुयी है जीतने के लिए, और मैत्री ने तीनो बार मौत को हरा दिया। आज मैत्री लाखो लोगों की प्रेरणा श्रोत बनी हुई,पूरी दुनिया में बुलंद हौसले की मिसाल बनी हुयी है। अभी भी मैत्री के कई सपने अधूरे है, जिन्हें पूरा करने के लिए निरंतर वो कोशिश में लगी हुयी है। मैत्री शाह के जज़्बे को हमारा सलाम।