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Lucknow University के अभियांत्रिकी संकाय में अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन “राशी’25” का हुआ भव्य उद्घाटन

लखनऊ। Lucknow University के अभियांत्रिकी एवं तकनीकी संकाय के अंतर्गत डिपार्टमेंट ऑफ एप्लाइड साइंस एंड ह्यूमैनिटीज द्वारा, कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय के मार्गदर्शन में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन “रीसेंट एडवांसेज इन एप्लाइड साइंस एंड ह्यूमैनिटीज इन इवोल्यूशन ऑफ इंजीनियरिंग (राशी ’25)” का उद्घाटन समारोह विश्वकर्मा सभागार में संपन्न हुआ। इस सम्मलेन में देश के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं कुलगीत से हुआ। इसके पश्चात अभियांत्रिकी संकाय के डीन प्रो ए.के. सिंह ने मुख्य अतिथि प्रो. एम.जी. ठक्कर, निदेशक, बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज लखनऊ एवं विशिष्ट अतिथियों प्रो. आर.पी. छाबड़ा, आईआईटी कानपुर के पूर्व प्रोफेसर, और पूर्वाशीष चक्रवर्ती, ए.जी.एम. यूको बैंक, को पुष्प गुच्छ एवं प्रतीक चिह्न देकर स्वागत एवं अभिनंदन किया।

अपने स्वागत उद्बोधन में संकाय के डीन प्रो. ए.के. सिंह ने में विज्ञान एवं मानविकी के समन्वय पर बल देते हुए कहा कि विज्ञान हमें उड़ान देता है और मानविकी हमें दिशा। आज का युग केवल तकनीकी प्रगति का नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों के साथ विकास का है।

सम्मेलन में बतौर विशिष्ट अतिथि बोलते हुए आईआईटी कानपुर के पूर्व प्रो. राज पी. छाबड़ा ने कहा कि विज्ञान में स्वाभाविक रूप से कोई भेद नहीं होता, और वर्तमान वर्गीकरण केवल सुविधा के लिए मौजूद हैं। उनका कथन “पीपल मीट, आइडियाज मल्टीप्लाई, दे डोंट जस्ट ऐड अप” श्रोताओं के बीच गहरी प्रतिध्वनि छोड़ गया।

इसके बाद सम्मेलन के मुख्य अतिथि प्रो. एम. जी. ठक्कर, निदेशक, बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज, लखनऊ ने अपने उद्बोधन में अभियांत्रिकी के विकास का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।उन्होंने संगोष्ठी में सतत विकास की चिंताओं और जलवायु परिवर्तन पर भी प्रकाश डाला एवं मंगल ग्रह की खोज की तुलना में पृथ्वी में सुधार को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रौद्योगिकी विकास में नैतिक विचारों की महत्ता पर चर्चा की और पृथ्वी को एक जीवंत इकाई के रूप में मान्यता देने पर जोर दिया।

उद्घाटन सत्र के अंत में डॉ. दीपक गुप्ता, संयोजक “राशी ’25” ने अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया और राष्ट्रगान के साथ उद्घाटन सत्र का समापन हुआ। सम्मलेन का पहला शैक्षणिक सत्र भौतिक विज्ञान, रासायनिक विज्ञान, गणित विज्ञान और मानविकी विषयों पर केंद्रित रहा। भौतिक विज्ञान ट्रैक में लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सतेंद्र पाल सिंह की अध्यक्षता में प्रोफेसर अजित एम. श्रीवास्तव ने गुरुत्वाकर्षण तरंग खोज, प्रोफेसर विशाल चंदेल ने CeO2 अनुप्रयोग, प्रोफेसर प्रवीण कुमार ने ऊर्जावान आयन किरणों और डॉ. संतु मंडल ने भारी-आयन टकरावों पर व्याख्यान दिए। रासायनिक विज्ञान में प्रोफेसर आर. एस. चंदेल की अध्यक्षता में डॉ. मनीषा शुक्ला ने 2D NMR पर और डॉ. ऋतुराज मिश्रा ने SPEN GNAT पर व्याख्यान दिए।

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इसी तरह गणित विज्ञान ट्रैक में प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में डॉ. बिबेक कुमार सिंह, प्रोफेसर अनिल कुमार और डॉ. सपना देवी ने व्याख्यान दिए। मानविकी के प्रथम ट्रैक में प्रोफेसर बिनोद मिश्रा की अध्यक्षता में रस सिद्धांत और जनजातीय साहित्य पर चर्चा हुई, जबकि मानविकी एवं प्रबंधन पर केंद्रित द्वितीय ट्रैक में प्रोफेसर अमिताभ रॉय की अध्यक्षता में प्रोफेसर प्रवीण साहू ने हरित विपणन और डॉ. सनोबर सिद्दीकी ने स्थिरता रिपोर्टिंग पर व्याख्यान दिए।

चाय विराम के बाद विश्वकर्मा सभागार में अक्षय शर्मा और डॉ. भारती राय के साथ उपन्यास पाठ सत्र हुआ। साथ ही, प्रोफेसर मसूद हुसैन सिद्दीकी की अध्यक्षता में गणित विज्ञान का द्वितीय सत्र प्रारंभ हुआ जिसमें डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुधीर कुमार श्रीवास्तव ने प्राचीन भारतीय गणितज्ञों के योगदान पर ऑनलाइन मुख्य व्याख्यान दिया। सत्र में क्वांटम कंप्यूटिंग, डिजिटल छवि एन्क्रिप्शन और जल गुणवत्ता विश्लेषण जैसे विषयों पर प्रस्तुतियां हुईं। समापन विश्वकर्मा सभागार में सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ।

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