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भारत बन सकता है क्लिनिकल ट्रायल का नया हब, चीन पर निर्भरता घटने के बीच मिलेगा बड़ा अवसर

हैदराबाद:  चीन पर दवा निर्माता कंपनियों की कम हुई निर्भरता और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे व्यवधानों के प्रभाव को कम करने में मदद के लिए भारत प्रारंभिक चरण के क्लिनिकल ट्रायल के लिए वैकल्पिक स्थल के रूप में आगे आने के लिए तैयार है। भारत क्लिनिकल ट्रायल का नया हब बन सकता है।

अमेरिकी बायोफार्मास्युटिकल सेवा प्रदाता कंपनी पैरेक्सेल के भारत में परिचालन प्रमुख संजय व्यास के मुताबिक, हमारी कंपनी अगले 3-5 वर्षों में भारत में अपने कर्मचारियों की संख्या को बढ़ाने की योजना बना रही है। व्यास ने कहा, रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे भू-राजनीतिक संघर्षों और वैश्विक दवा निर्माताओं की चीन पर निर्भरता कम करने के प्रयासों के कारण भारत क्लिनिकल ट्रायल को आकर्षित करने के लिए अच्छी स्थिति में है।

साल 2022 में शुरू हुए युद्ध से पहले यूक्रेन, रूस के साथ मिलकर नई दवाओं के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण देश बन गया था, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते अब स्थिति बदल चुकी है। इसका भारत को फायदा हो सकता है और क्लिनिकल ट्रायल के क्षेत्र में वह नया हब बनने को तैयार है।

इसलिए है आगे आने का बेहतर अवसर
तेलंगाना में चल रहे बायोएशिया सम्मेलन से इतर व्यास ने कहा, भारत में असफलता की लागत दुनिया के अन्य भागों की तुलना में बहुत कम है। इसलिए भारत के पास इस क्षेत्र में आगे आने के लिए एक अच्छा अवसर है। बता दें कि, अमेरिकी कंपनी पैरेक्सेल दुनिया के शीर्ष क्लिनिकल ट्रायल अनुसंधान संगठनों में से एक है। कंपनी की महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों में करीब 150 क्लिनिकल ट्रायल सेंटर हैं।

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