भारत में वित्तीय क्षेत्र ने जितनी तेजी से विकास किया है, उतनी तेजी से लोग वित्तीय रूप से जागरुक नहीं हो पाए हैं। बाजार में निवेश के लिए सैकड़ों उत्पाद और उपकरण मौजूद हैं, लेकिन इसका किस प्रकार उपयोग किया जाए, आम निवेशकों में इसे लेकर पर्याप्त जानकारी नहीं है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए दो पूर्व बैंकर्स सुशील सरावगी और प्रियंका मोहन लोगों को पैसों के बारे में जागरुक बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
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बैंकिंग से वित्तीय शिक्षा तक का सफर
बैंकिंग सेक्टर में काम कर चुके सुशील सरावगी और प्रियंका मोहन ने भारत में लोगों को पैसों के बारे में शिक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। बैंकिंग सेक्टर में सालों का अनुभव रखने के बाद उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि भारत के लोगों के बीच वित्तीय जागरूकता की भारी कमी है।
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बाजार में तमाम तरह के फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स तो उपलब्ध थे, लेकिन उन्हें सही तरीके से इस्तेमाल करने का तरीका लोगों को ठीक से पता नहीं था। इसी कमी को दूर करने के लिए उन्होंने अपनी सोच को बैंकिंग से हटाकर वित्तीय शिक्षा की ओर मोड़ लिया।
तकनीक और डेटा का सही इस्तेमाल
सुशील और प्रियंका ने डेटा और तकनीक की ताकत को समझते हुए ऐसे नए प्लेटफॉर्म और टूल्स तैयार किए हैं जो जटिल फाइनेंशियल कॉन्सेप्ट्स को आसान तरीके से समझा सकें। उनका मकसद है कि डेटा एनालिसिस का इस्तेमाल करके खास तरह की फाइनेंशियल शिक्षा सामग्री तैयार की जाए ताकि लोग इन फाइनेंशियल कॉन्सेप्ट्स को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में लागू कर सके।