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जानिये बाल गोपाल को भोग लगाते समय प्रसाद में क्यों चढ़ाते हैं तुलसी के पत्ते…

गुरुवार, 13 जून को ज्येष्ठ मास की एकादशी है. इसे निर्जला एकादशी बोला जाता है. हर माह दो एकादशियां आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में  दूसरी शुक्ल पक्ष में. उज्जैन के इंद्रेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी  ज्योतिर्विद पं सुनील नागर के अनुसार एकादशी पर भगवान विष्णु  उनके अवतारों की विशेष पूजा करनी चाहिए. श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की पूजा भी इस तिथि पर विशेष रूप से करनी चाहिए. अगर आपने भी घर के मंदिर में बाल गोपाल की मूर्ति रखी है तो एकादशी पर इनकी पूजा जरूर करें. पूजा में इन बातों का ध्यान रखेंबाल गोपाल को भोग लगाते समय प्रसाद में तुलसी के पत्ते जरूर रखें. तुलसी के बिना भगवान भोग नहीं लगाना चाहिए.

बाल गोपाल की पूजा से पहले आचमन करना चाहिए. इसके लिए पहले खुद के हाथ साफ पानी से धोएं, इसके बाद श्रीकृष्ण के हाथों के लिए जल अर्पित करें. पूजा में फूलों वाले सुगंधित पानी का उपयोग करें.

पूजा में श्रीकृष्ण की मूर्ति को आसन पर बिठाएं. आसन का रंग चमकीला होना चाहिए. जैसे लाल, पीला, नारंगी.
जिस बर्तन में भगवान श्रीकृष्ण के पैर धोए जाते हैं, उसे पाद्य बोला जाता है. पूजा से पहले पाद्य में स्वच्छ जल  फूलों की पंखुड़ियां डालें  उससे भगवान के चरणों को धोएं.

दूध, दही, घी, शहद  चीनी को एक साथ मिलाकर पंचामृत बनाएं  तुलसी के पत्ते डालकर भोग लगाएं.

पूजा में उपयोग होने वाली दूर्वा घास, कुमकुम, चावल, अबीर, सुगंधित फूल  शुद्ध जल को पंचोपचार बोला जाता है.

श्रीकृष्ण की पूजा में जो भोग लगाया जाता है, उसमें ताजे फल, मिठाइयां, लड्डू, मिश्री, खीर, तुलसी के पत्ते  फल शामिल करें.

बाल गोपाल की पूजा में गौ माता के दूध से बने घी का उपयोग करना चाहिए.

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