आनंद कुमार की जिंदगी, संघर्ष और फर्श पर रहने वालों के अपनी मेहनत के दम पर अर्श पर पहुंचने के ख़्वाब देखने की दास्तान है. ‘सुपर 30’ की कहानी बिहार के आनंद कुमार (यानी ऋतिक रोशन) की है जो मैथ्स का जीनियस है और अंकों में ही जीता है. अपनी मेहनत के बीते उसे कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में दाखिला भी मिल जाता है लेकिन हालात उसे हरा देते हैं और वह कोचिंग सेंटर में काम करने लगता है. लेकिन एक दिन वो फैसला करता है और हालात से मजबूर बच्चों के ख्वाबों को सच करने में जुट जाता है. इस तरह प्रेरक फिल्म है जो अपने ख्वाबों को सच करने के लिए इंस्पायर करती है.
‘सुपर 30 (Super 30)’ की कहानी जितनी इंस्पायरिंग है, उतना ही जानदार ऋतिक रोशन का किरदार भी है. ऋतिक रोशन आनंद के किरदार में अच्छे लगे हैं लेकिन कहीं उनका उच्चारण थोड़ा तंग करता है. ऋतिक रोशन को आनंद कुमार बनाने के लिए जो मेहनत की गई है इसमें भी थोड़ी चूक नज़र आती है. फ़िल्म में उनका स्किन टोन और आंखों का रंग थोड़ा खटकता है. ‘सुपर 30 (Super 30)’ में पंकज त्रिपाठी एक बार फिर बेहतरीन हैं तो आदित्य श्रीवास्तव की एक्टिंग भी बढ़िया है. मृणाल ठाकुर का रोल भी ओके है, और कोई बहुत याद रखने जैसा नहीं है.
विकास बहल ने कहानी के साथ पूरी तरह इंसाफ करने की कोशिश की है, लेकिन सुपरस्टार को लेकर बॉलीवुड का मोह कहीं न कहीं इस फिल्म की राह में रोड़ा अटकाता है. फिल्म की लेंथ को लेकर भी थोड़ा काम किया जा सकता था क्योंकि ‘सुपर 30’ काफी लंबी हो गई है. हालांकि फिल्म में कई मौके ऐसे आते हैं जो रोंगटे खड़े कर देते हैं. फ़िल्म का म्यूज़िक ठीक-ठाक है. ‘सुपर 30 (Super 30)’ का बजट लगभग 70 करोड़ रुपये बताया जा रहा है, इस तरह अगर फिल्म यूथ से कनेक्ट बना पाती है तो बॉक्स ऑफिस पर बड़ा करिश्मा कर सकती है. फिल्म की बात करें तो कुल मिलाकर ऋतिक की एक्टिंग, आनंद कुमार की नेक कोशिश और एक इंस्पायरिग कहानी होने की वजह से ‘सुपर 30’ वन टाइम वॉच है.