अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में राजनयिक क्षेत्र में तालिबान के एक फिदायीन ने गुरूवार को कार बम से विस्फोट कर दिया जिसमें कम से कम 12 असैन्य लोगों की मौत हो गई। जबकि 42 लोग घायल हो गए है। घटना उस वक्त हुआ जब अमेरीका और तालिबान के बीच शांति समझौते को अंतिम रूप दिया जा रहा था। बता दें अफगानिस्तान में फिदायीन के द्वारा एक ही हफ्ते में यह दूसरा बड़ा हमला किया गया है। इस राजनयिक क्षेत्र में अमरीकी दूतावास भी है।
अफगान सरकार ने कहा कि यह समझौता जल्दबाजी में हो रहा है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता नसरत रहिमी ने कहा कि हमले में 42 लोग जख्मी हुए हैं और 12 वाहन नष्ट हो गए हैं। तालिबान ने कहा कि उसने ‘विदेशियों’ की गाड़ियों को निशाना बनाया है। उन्होंने भारी सुरक्षा व्यवस्था वाले शश दरक इलाके में घुसने की कोशिश की जहां अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग का दफ्तर है। नाटो रेजुलेट सपोर्ट मिशन का दफ्तर भी घटनास्थल के पास है और ब्रिटिश सैनिक नाटो के नष्ट हो चुके वाहन को हटा रहे थे।
बहरहाल, नाटो मिशन और ब्रिटिश उच्चायोग ने विस्फोट पर कोई टिप्पणी नहीं की है। स्थानीय अस्पताल में घायल निजामुद्दीन खान ने बताया कि उन्हें यह याद नहीं है कि उन्हें अस्पताल कौन लेकर आया। इस विस्फोट से पहले, सोमवार देर शाम एक विदेशी परिसर को तालिबान ने निशाना बनाया था जिसमें कम से कम 16 लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा जख्मी हुए थे। इनमें तकरीबन सभी स्थानीय असैन्य लोग थे।
अमरीकी दूत जलमी खलीलजाद इस हफ्ते काबुल में हैं। वह अफगानिस्तान के राष्ट्रपति और अन्य अधिकारियों को अमरीका-तालिबान के बीच समझौते के बाबत जानकारी देने के लिए आए हुए हैं। यह समझौता करीब 18 साल की जंग को खत्म करेगा। उन्होंने कहा कि समझौते को असलियत बनने के लिए सिर्फ अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मंजूरी मिलने की जरूरत है। अफगान सरकार ने इस समझौते को लेकर गंभीर चिंताएं प्रकट की हैं। राष्ट्रपति के सलाहकार वहीद उमर ने पत्रकारों से कहा कि यह समझौता जल्दबाजी में हो रहा है। उन्होंने कहा कि मुश्किल दिन आने वाले हैं।