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माधुरी की खूबसूरती के दीवाने थे यह एक्टर बिना फीस के करना चाहते थे यह काम

शेखर सुमन के पास को-स्टार्स से जुड़े किस्सों का खजाना है. उन्हें कुरेदो तो वे यादों का पिटारा खोल देते हैं. दैनिक भास्कर पूलआउट सिटी भास्कर के रीलॉन्च एडिशन की प्रॉपर्टी ‘यादों की बारात’ के लिए उन्होंने दिलचस्प यादें शेयर कीं.

  1. एक बार निर्देशक सुदर्शन रतन का फोन आया. वे कहने लगे- फिल्म प्लान कर रहा हूं, नाम ‘मानव हत्या’ है. हीरोइन के बारे में बताया कि नयी लड़की है. उसने राजश्री के साथ एक फिल्म ‘अबोध’ की है. मेहनताने के बारे में पूछा, तब वे कहने लगे कि पैसे नहीं दे पाऊंगा. मैंने बोला- पैसे देंगे नहीं, हीरोइन भी जमी जमाई नहीं है, तब कैसे करूंगा!

    खैर, उनकी रिक्वेस्ट पर तैयार हो गया. वे मुझे जेबी नगर, मुंबई में छोटे-से घर में ले गए. सुदर्शन बोले- हीरोइन अभी दो मिनट में आती है. अंदर से माधुरी निकली. सुदर्शन पूछने लगे कि कार्य करोगे? मैंने कहा- खूबसूरत है, दौड़ते हुए कार्य करूंगा.

  2. ‘मानव हत्या’ के सेट पर सुभाष घई आते थे. वहां उनकी ‘मेरी जंग’ की शूटिंग चल रही थी. उन्हें देख मैं लोगों के बीच हांकने लगा कि अगली फिल्म घई के साथ साइन करूंगा. बाद में पता चला कि वे माधुरी के लिए आ रहे थे. उन्होंने ‘कर्मा’ में माधुरी को एक डांस सीक्वेंस में छोटे-से भूमिका के लिए लिया था, लेकिन माधुरी के कार्य से इतने प्रभावित हुए कि बोले- इनको इस फिल्म में बर्बाद नहीं करते हैं. फिर ‘कर्मा’ से उनका सीन निकाला  अनिल कपूर की हीरोइन बनाकर उन्हें ‘हिफाजत’ फिल्म में लिया.
  3. माधुरी  मैं एक मोटर साइकिल पर बैठकर शूटिंग करने जाते थे. उनके पास कोई वाहन नहीं था. मुंबई में हम एक ही एरिया में रहते थे. उन्हें पिक करता था  फिर वापस छोड़कर घर आता था. एक दिन इस फिल्म की शूटिंग मेरे घर पर हुई, तब मेरी पत्नी ने माधुरी को अपने कपड़े पहनने के लिए दिए. डायरेक्टर ने बोला कि इनका मेकअप बेकार दिख रहा है, तो फिर पत्नी ने उनका मेकअप भी अच्छा किया.
  4. लतीफ खान की फिल्म ‘इंसाफ अपने लहू से’ कर रहा था. इसमें संजय दत्त, सोनम  मैं था. फिल्म का मुहूर्त शॉर्ट में क्लैप देने अमिताभ बच्चन आए थे. मैं उत्साहित था कि अमिताभ बच्चन से मिलूंगा. क्लैप के समय नकली पिस्तौल से फायरिंग करने के बाद पहले मुझे, फिर संजय दत्त  आखिर में सोनम को डायलॉग कहना था. लेकिन पिस्तौल चलाते समय गोली फंस गई. गोली फंस गई तो मैं चुप रहा.
  5. तब तक संजय दत्त ने अपना डायलॉग कहना प्रारम्भ कर दिया. जैसे ही वे बोलने लगे, गोली चल गई. गोली चल गई तो मैंने अपना डायलॉग प्रारम्भ कर दिया. तब संजय दत्त रुक गए. मुझे लगा कि ये बोल रहे हैं तो मुझे रुक जाना चाहिए, इसलिए मैं चुप हो गया. हम दोनों चुप हो गए, तब तक सोनम ने अपना डायलॉग कहना प्रारम्भ कर दिया.
  6. इतना कंफ्यूजन हुआ कि बच्चन साहब बोले- ‘भइया, पहले डिसाइड कर लो कि किसको कब, क्या कहना है. क्योंकि मैं यही सोच रहा हूं कि क्लैप दूं या नहीं दूं. मैंने 100-150 मुहूर्त शॉर्ट अटैंड किए, पर इतना कंफ्यूजन कभी देखा नहीं.‘ फिर तो हम लोग खूब हंसे.
  7. मैं, नीना गुप्ता, राजेश पुरी, सुधीर मिश्रा, अजीत वच्छानी आदि कलाकार एक ही बिल्डिंग में रहते थे. बिल्डिंग से थोड़ी दूर एक दुकान पर टेलीफोन लगा था. तब हमारे पास टेलीफोन होता नहीं था. हम सबकी दुकान मालिक से अंडरस्टैंडिंग थी कि हमारा फोन आएगा, तो बात करवा देना, प्रति कॉल 50 पैसे दे देंगे. किसी का फोन आता, तो भागे जाते थे. मुझे दौड़ते देख मोहल्ले के लोगों को लगता कि शेखर को किसी प्रोड्यूसर ने फोन किया है.

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