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लगातार खराब होता जा रहा मसूद अजहर का स्वास्थ्य, अब यह संभालेंगे आतंकी संगठन की बागडोर

पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर का स्वास्थ्य लगातार खराब होता जा रहा है। इस बीच उसके भाई अब्दुल रऊफ असगर ने आतंकी संगठन की बागडोर संभाल ली है। मसूद अजहर गुर्दे की बीमारी से जूझ रहा है और महीनों से बिस्तर पर पड़ा है। भारतीय वायु सेना ने 28 फरवरी को पाकिस्तान के बालकोट में जैश के सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर पर हवाई हमला किया था। इसके बाद से मसूद भूमिगत हो गया था।

मसूद अजहर को गुप्त रूप से पाकिस्तान की जेल से रिहा कर दिया गया है। उसे बहावलपु में जैश के एक सुरक्षित ठिकाने में रखा गया है। अधिकारियों का कहना है कि मसूद के बिगड़ रहे स्वास्थ्य को देखते हुए यह फैसला किया गया है। खुफिया एजेंसियों ने जानकारी दी है कि पाकिस्तान ने भारत पर आतंकी हमलों के लिए जैश का इस्तेमाल करने की योजना बनाई है। हालांकि, मसूद इतना बीमार हो गया है कि वह जैश की रोज-मर्रा की गतिविधियों को नहीं देख पा रहा है।

लिहाजा, उसके भाई असगर ने जैश की कमान अपने हाथों में ले ली है। वह जैश के साथ उसकी स्थापना के समय से ही जुड़ा हुआ है। उसी ने भारतीय विमान आईसी-814 की हाईजैकिंग का प्लान बनाया था, जिसके बाद मसूद अजहर और अन्य आतंकियों को रिहा करने के लिए भारत सरकार को मजबूर होना पड़ा था।

मसूद अजहर की तरह ही 45 साल के असगर ने शुक्रवार को युवाओं को भड़काने के लिए और आतंकी संगठन के लिए संसाधनों को जुटाने के लिए धर्मोपदेश दिए थे। एक भारतीय सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि अब असगर ही वास्तविक व्यक्ति है, जिस पर नजर रखने की जरूरत है। अधिकारी ने बताया कि वह आतंकी घटना की योजना बनाने के लिए नियमित रूप से जैश के अन्य लोगों से मिलता है।

हालिया रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि उसे आईएसआई ने जम्मू-कश्मीर में जैश गतिविधियों को आगे बढ़ाने को कहा है। कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है, लेकिन सामने से कुछ न कर पाने की स्थिति में आतंकी हमलों का सहारा ले रहा है। पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने असगर को नामित संगठनों के निगरानी सदस्यों की सूची में डाल दिया था और इस साल मार्च में उसे हिरासत में ले लिया था।

बताते चलें कि भारत में कई घातक आतंकवादी हमलों को अंजाम देने में मसूद अजहर का हाथ रहा है। साल 2016 में कश्मीर में उड़ी सैन्य अड्डे पर किए गए हमले में भी उसका ही हाथ था, जिसमें 17 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। साल वह 2001 में भारतीय संसद पर किए गए हमले और साल 2005 में अयोध्या में हुए हमले का भी मास्टरमाइंड था।

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