मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने शुक्रवार को कहा कि सरकार द्वारा कारपोरेट जगत को एक लाख 45 हजार करोड़ रुपये की कर छूट का आर्थिक प्रोत्साहन और कुछ नहीं बल्कि भारतीय रिजर्व बैंक भंडारण से गलत तरीके से लिये गये एक लाख 76 हजार करोड़ रुपये का भारतीय कंपनियों को हस्तांतरण है। माकपा ने यहां एक बयान जारी कर कहा कि बजट प्रावधानों के प्रभाव को दूर करने के लिए सरकार का प्रयास आर्थिक मंदी को दूर नहीं कर सकता है क्योंकि भले ही जिस चीज का उत्पादन हो जाए, उसे खरीदने के लिए लोगों के पास पैसा नहीं है।
माकपा ने कहा कि आरएसएस-भाजपा सरकार ने अध्यादेश के जरिये आयकर अधिनियम में बदलाव कर कारपोरेट और बड़े अमीरों को एक करोड़ 45 लाख रुपये की बड़ी छूट दे दी है। यह हाल ही में निर्यात क्षेत्र को दी गयी 70,000 करोड़ रुपये की रियायत के अलावा है। वाम दल ने कहा के भारतीय रिज़र्व बैंक के भंडार से गलत ढंग से जो 1.76 लाख करोड़ रूपए लिये गये थे, उन्हें सार्वजनिक निवेश में उपयोग करने के बजाय कॉरपोरेट को हस्तांतरित किया जा रहा है।
सार्वजनिक निवेश में यह धन लगाये जाने से रोजगार पैदा होता और लोगों की क्रय शक्ति बढ़ती। देश में मौजूदा आर्थिक सुस्ती के लिए मांग की कमी को जिम्मेदार बताते हुए माकपा ने कहा,‘‘बजट घोषणाओं को उलटने वाले ये प्रयास आर्थिक सुस्ती को समाप्त नहीं कर सकते हैं क्योंकि लोगों के पास खरीदने के लिए धन नहीं है, भले ही जिसका उत्पादन किया जाए।’’