जब शरीर का वजन इस स्तर तक बढ़ जाए कि वह हमारे शरीर व मन पर प्रतिकूल प्रभाव डालने लगे, तो उसे फैट की चर्बी बोला जाता है. फैट की चर्बी खुद में कोई रोग नहीं, लेकिन यह दिल रोग, डायबिटीज, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, आथ्र्राइटिस आदि अनेक रोगों का कारण अवश्य साबित होता है. यौगिक ढंग से इससे बचने के तरीका बता रहे हैं योगाचार्य कौशल कुमार
मोटापे के अनेक कारण हैं, जिनमें आवश्यकता से ज्यादा भोजन करना, ज्यादा फैटी भोजन का सेवन, व्यायाम न करना, मानसिक तनाव आदि शामिल हैं. मुख्य रूप से यह बेकार जीवनशैली का परिणाम है. यौगिक क्रियाएं मोटापे के साथ-साथ आदमी के शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक पक्षों का समग्रता से निवारण करती हैं.
आसन-
यौगिक रीति से आसनों का एक्सरसाइज करने से न केवल शरीर की चर्बी कम होती है, बल्कि शरीर का गठन भी संतुलित होता है. इससे मन की स्थिरता बढ़ती है जिससे आदमी की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है. इसके लिए जरूरी यौगिक आसनों में सूक्ष्म व्यायाम, सूर्य नमस्कार, जानु शिरासन, उष्ट्रासन, त्रिकोणासन व नौकासन शामिल हैं.
जानें जानु शिरासन के अभ्यास की ठीक विधि-
दोनों पैरों को सामने की ओर फैलाकर जमीन पर बैठ जाएं. तीन लंबे तथा गहरे श्वास-प्रश्वास लें. अब अपने बाएं पैर को घुटने से मोड़कर इसके तलवे को दाईं जांघ से सटाएं.
एक लंबा तथा गहरा श्वास लेते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाएं तथा प्रश्वास बाहर निकालते हुए दोनों हाथों को दाएं पैर के पंजों की तरफ ले जाएं तथा माथे को दाएं घुटने से सटाने का कोशिश करें. जबरदस्ती कुछ भी न करें.
इस स्थिति में श्वास-प्रश्वास सामान्य रखते हुए आरामदायक अवधि तक रुकें. इसके पश्चात वापस पूर्व स्थिति में आएं. यही क्रिया बाएं पैर से तथा उसके बाद दोनों पैरों से एक साथ भी बारी-बारी से करें. प्रारंभ में इसकी दो-तीन आवृत्तियों का एक्सरसाइज करें. धीरे-धीरे इसकी पांच से सात आवृत्तियों का एक्सरसाइज किया जा सकता है.
इस आसन के एक्सरसाइज के बाद पीछे झुकने वाले किसी एक आसन जैसे राज-कपोतासन, उष्ट्रासन, सुप्त वज्रासन, भुजंगासन आदि का एक्सरसाइज जरूर करें. जिन्हें स्लिप डिस्क, स्पॉन्डिलाइटिस, सायटिका या तीव्र कमर दर्द की समस्या हो, वे आगे झुकने वाले आसन का एक्सरसाइज न करें, पीछे झुकने वाले आसनों का एक्सरसाइज कर सकते हैं.
भ्त्रिरका प्राणायाम की एक्सरसाइज विधि-
ध्यान के किसी भी आसन जैसे पद्मासन, सिद्धासन, सुखासन में या कुर्सी पर सीधे बैठ जाएं. शरीर के सभी अंगों को ढीला छोड़ दें. इसके बाद दाईं नासिका को दाएं अंगूठे से बंद कर बाईं नाक से तीव्रता के साथ लंबा श्वास अंदर लें व लंबा प्रश्वास बाहर निकालें.
प्रारंभ में ऐसा 15 बार करें. फिर यही क्रिया बाईं नाक को बंद कर दाईर्ं नाक से करें. फिर दोनों से एक साथ इस क्रिया को करें. यह भ्त्रिरका का एक चक्र हुआ. प्रारंभ में तीन से चार चक्रों का एक्सरसाइज करें.
धीरे-धीरे चक्रों की संख्या बढ़ाकर 10 तक ले जाएं. जिन्हें दिल रोग, उच्च रक्तचाप, हर्निया, स्लिप डिस्क आदि की शिकायत है, वे इसका एक्सरसाइज न कर नाड़ीशोधन व उज्जायी का एक्सरसाइज करें. खाने में अप्राकृतिक व फास्ट फूड के सेवन से बचें.
प्राणायाम-
प्राणायाम के एक्सरसाइज से मोटापे के रोग पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया जा सकता है. यह शारीरिक के साथ-साथ मानसिक व भावनात्मक स्तर पर काम करता है. इसके लिए कपालभाति, अग्निसार, भ्त्रिरका आदि का एक्सरसाइज करना चाहिए.