आंखें कुदरत का दिया एक ऐसा गिफ्ट है जिससे हम पूरी संसार देख पाते हैं। प्रति में बसे हर रंग को समझ पाते हैं। आंखें जितनी अनमोल होती हैं उतनी ही संवेदनशील भी होती हैं। इसके बावजूद कुछ लोग अपनी आंखों की ठीक तरह से देखभाल नहीं करते हैं। आजकल बच्चे भी अपना ज्यादातर वक्त मोबाइल फोन, कम्प्यूटर, लैपटॉप व टैबलेट देखने में बिताते हैं, जिसके चलते बच्चों में छोटी आयु से ही कई गंभीर आंखों की समस्या होने लगती है। डॉक्टरों की मानें तो तकनीक के सम्पर्क में अधिक रहने से बच्चे छोटी आयु में ही ग्लूकोमा, कंजक्टीवाइटस व आंख के इंफेक्शन के शिकार हो रहे हैं। आइए हम आपको कुछ ऐसे सरल टिप्स के बारे में बताते हैं जिससे बच्चों की आंखों की देखभाल की जा सकत है
हाथों को रखें साफ
आंखों को स्वस्थ रखने में हाथों की सफाई का बहुत बड़ा भूमिका होता है। दरअसल बच्चों में हाथ धोने की आदत बहुत कम होती है इसलिए उनके हाथ में गंदगी व जीवाणु भरे रहते हैं। ऐसे में जब इन्हीं हाथों से बच्चे अपनी आंखें मसलते हैं तो उन्हें कंजक्टीवाइटिस या आंख का इंफेक्शन होने का खतरा बना रहता है। इसलिए बच्चों को यह जरूर बताएं कि आंखों को छूने से पहले हाथों को अच्छी तरह से साफ कर लें। बच्चों को बताने के साथ ही आप भी उन पर निरंतर निगरानी रखें कि वह ऐसा कर रहे हैं या नहीं।
हेल्दी डाइट
बच्चों की आंखों की देखभाल करने व उन्हें स्वस्थ रखने के लिए हेल्दी डाइट भी बहुत महत्वपूर्ण है। बच्चे अक्सर हेल्दी चीजें खाने से मना करते हैं। ऐसे में यह पैरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वह उन्हें किस तरह से संतुलित डाइट दें सकें। बच्चों को प्रतिदिन दूध व दूध से बने प्रोडक्ट जैसे दही, छाछ, पनीर व घी, मौसमी फल व हरी सब्जियों से मिली झुली एक बैलेंस डाइट जरूर देनी चाहिए। इसके अतिरिक्त आप 6 महीने में एक बार बच्चों का ब्लड टेस्ट करवा के भी पता कर सकते हैं कि उनके शरीर में किस विटामिन या मिनरल की कमी है। फिर आप उसी हिसाब से बच्चों की डाइट में तब्दीली ला सकते हैं।
कॉन्टेक्ट लैंस को कहें नो
आंखों का चेकअप कराएं
6 महीने के बाद से ही नवजात शिशुओं का नियमित आई चेकअप कराना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह चेकअप शिशुओं की आंखों का हाल बताने में मदद करता है। इससे बचपन से ही शिशु की आंखों की ठीक तरह से देखरेख करने से एक तो बीमारी का पता चल जाता है साथ ही भविष्य में होने वाले खतरे को भी समय रहते टाला जा सकता है। इसके अतिरिक्त ध्यान रखें कि नवजात शिशुओं का आई चेकअप किसी अच्छे व विश्वसनीय चिकित्सक से ही कराएं।
देखने की उचित दूरी करें निर्धारित
जब भी बच्चे टीवी के आगे बैठें या फिर मोबाइल, लैपटॉप का प्रयोग करें, उन्हें ऐसी चीजों को देखते वक्त एक उचित दूरी बनाने को कहें। गैजट या किसी भी आधुनिक तकनीक यंत्रों को देखते वक्त आंखों से करीब 50 सेंटीमीटर की दूरी जरूर होनी चाहिए। वहीं पढ़ते वक्त किताबों व आंखों के बीच में करीब 30 से 40 सेंटीमीटर की दूरी जरूर होनी चाहिए। बच्चों को यह भी बताएं कि ऐसी चीजों पर घंटों टकटकी लगाएं न बैठे रहें। जब बच्चा फोन का प्रयोग कर रहा हो तब या तो आप बच्चों के साथ बैठकर उनका मनोरंजन करें या फिर उन्हें बीच बीच में छोटा ब्रेक लेने को कहें। बेहतर होगा की बच्चे बीच-बीच में आंखों की अभ्यास करते रहें। ऐसा करने से उनकी आंखें अच्छी रहेंगी व वह इंफेक्शन का शिकार भी नहीं होंगे।
आउटडोर गेम खेलना जरूरी
आउटडोर गेम खेलने से बच्चों की आंखों पर बहुत सकारात्मक असर पड़ता है। दैनिक दिनचर्या में से कम से कम 1 घंटा बच्चों को आउटडोर एक्टिविटी में भाग लेना चाहिए। इसमें चाहे बच्चे अपने दोस्तों के साथ खेलें या फिर साइकिल चलाएं। इससे उनकी आंखे शांत व स्वस्थ रहती हैं। हालांकि बच्चों को प्रातः काल 11 बजे से लेकर शाम के 4 बजे के बीच में आउटडोर गेम नहीं खेलने चाहिए। इस दौरान धूप की वजह से बच्चे को फायदे की स्थान नुकसान होने कि सम्भावना है।