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‘हत्या प्रदेश’ में पुलिस जनता के लिए सुरक्षा नहीं हत्या का पर्याय बनकर रह गयी: अखिलेश

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि ‘हत्या प्रदेश’ में पुलिस जनता के लिए सुरक्षा नहीं, हत्या का पर्याय बनकर रह गई है। हापुड़ में नौजवान प्रदीप तोमर की निर्ममता से पुलिस हिरासत में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई है। झांसी में पुष्पेन्द्र यादव की 05 अक्टूबर 2019 की रात फर्जी एनकाउण्टर दिखाकर हत्या कर दी गई। इटावा में पत्रकार अजितेश मिश्रा की पत्नी की हत्या हो गई। बदायूं में ब्रजपाल मौर्य को बिजली बकाया के बहाने हिरासत में लेकर जान ले ली गई। बदायूं में कर्ज तले दबकर किसान हेम सिंह ने आत्महत्या कर ली। 80 हजार के कर्ज पर ढाई लाख रूपया ब्याज देते-देते वह मर गया।


सवाल है, ऊपर उल्लेखित के अलावा न जाने कौन और आगे भी ना जाने कितने निर्दोष पुलिस के शिकार बनेंगे और उनके परिजन भाजपा सरकार की अंधी गली में कब तक भटकते रहेंगे? सरकारी विज्ञापनों में कानून व्यवस्था को लेकर खुशहाली के जो दृश्य दिखाए जाते हैं उससे इतर ये बदनुमा हकीकत है जिसे झूठ के पर्दे में ज्यादा दिनों तक छुपाया नहीं जा सकेगा। नोडल अफसर बनाने से कानून व्यवस्था ठीक नहीं हो सकती है।

सच तो यह है कि सरकार का हुकुम मानते हुए पुलिस और बेलगाम अपराधी लोगों को ठोक रहे हैं। फर्जी एनकाउण्टर और भाजपा के राजनीतिक संरक्षण में फल-फूल रही अराजकता से जनता त्रस्त है। समाजवादी सरकार में यूपी 100 सहित पुलिस को आधुनिक सुविधाओं और जांच उपकरणों से लैस किया गया था। महिलाओं से छेड़छाड़ न हो, तो इसके लिए 1090 वूमेन पावर लाइन की भी व्यवस्था थी। भाजपा सरकार ने सब बर्बाद कर दिया।

भाजपा के शासनकाल में मानवाधिकार आयोग ने फर्जी एनकाउण्टरों पर प्रदेश सरकार को कई नोटिसें दी है। राज्य में हत्या, लूट, अपहरण की घटनाएं बढ़ी है। बच्चियां तक सुरक्षित नहीं। महिलाओं और किशोरियों से दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ती जा रही है। नौजवान रोजी-रोटी के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। भाजपा ने अर्थव्यवस्था के साथ समाज व्यवस्था को भी बर्बाद करके रख दिया है। शासनकाल का दुरूपयोग कर भाजपा अपना राजनीतिक स्वार्थ साधन करने में ही लगी रहती है। भाजपा राज में यह राजनीति का स्याह पक्ष है जो न सिर्फ अनैतिक है बल्कि भोली-भाली जनता के साथ धोखा है। भाजपा लोकतंत्र का मखौल बनाने पर तुली है।

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