भारत और चीन के बीच बीजिंग में परमाणु निरस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार को लेकर बैठक में वार्ता हुई। इस दौरान दोनों देशों के बीच 5वें दौर की यह वार्ता परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में भारत के प्रवेश को बाधित ने करने को लेकर हुई। जिसके लिए भारत ने किसी बाधा को न पहुंचाने के लिए अपील की है। यह अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और निरस्त्रीकरण मुद्दों पर चर्चा के लिए एक प्रमुख मंच है।
- भारत ने चीने से वार्ता के दौरान NSG मुद्दे पर अपना रूख बदलने की अपील की है।
NSG सदस्यों में ज्यादातर देश भारत के पक्ष में
NSG सदस्यों में ज्यादातर देश भारत के पक्ष में हैं। लेकिन पिछले दो वर्षों से चीन के हस्ताक्षर न होने के कारण इसमें भारत का प्रवेश बाधित रहा है। क्योंकि चीन ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किया था।
- इस बार भारत ने चीन से समर्थन की अपील की है।
- 48 सदस्यीय समूह के ज्यादातर सदस्य भारत के मामले का समर्थन करते हैं।
NSG पर चुप्पी
बीजिंग में भारत की ओर से एक बयान में कहा गया कि मंगलवार की वार्ता में दोनों पक्षों ने परस्पर हित के विभिन्न विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। इसमें बहुपक्षीय मंच पर परमाणु निरस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार से जुड़े घटनाक्रम, परमाणु मुद्दे, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और निरस्त्रीकरण के साथ बाहरी अंतरिक्ष के संदर्भ में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका शामिल है।
- इस दौरान उसने भारत की एनएसजी सदस्यता के मुद्दे का कोई उल्लेख नहीं किया गया।
चीन के रूख में बदलाव
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने यहां मीडिया से कहा था कि एनएसजी में भारत के प्रवेश को लेकर चीन के रूख में कोई बदलाव नहीं हुआ है। वहीं भारत इस मुद्दे को चीन के साथ विभिन्न स्तरों पर उठाता रहा है।
- जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग के बीच मुलाकातें हुई हैं।
चीन की यात्रा पर जा सकते हैं भारत के शीर्ष अधिकारी और मंत्री
भारत के कई शीर्ष अधिकारी और मंत्रियों के इस महीने चीन की यात्रा करने की उम्मीद है। इनमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण शामिल हैं।
- मोदी के भी शंघाई सहयोग संगठन (sco) सम्मेलन में हिस्सा लेने का कार्यक्रम है जो कि चीन के किंगदाओ शहर में जून में होना है।