लखनऊ । महाधिवक्ता के गनर मनोज शुक्ला की मौत गुत्थी उलझती ही जा रही है। वहीं गनर की पत्नी की चुप्पी ने इस पूरे मामले में पर्दा डाल दिया है। यही वजह है कि जांच में जुटी पुलिस को इस मामले में अभी तक ऐसा कोई सुराग नहीं मिल सका है जिससे वह किसी नतीजे पर पहुंच सके। बताया तो यह भी जा रहा है कि गनर जब घर से निकला था तो पत्नी से ही उसकी बात हुई थी। उसे गनर की पूरी कहानी पता है लेकिन वह कुछ बोलने को तैयार नहीं है। गनर मनोज कुमार शुक्ला की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डूबने से मौत होने और घटना स्थल पर मिली शराब की बोतल ने कहानी में नया मोड़ ला दिया है। पुलिस अब हादसा या आत्महत्या के बीच उलझ गई है। पुलिस की उलझन इस बात को भी लेकर है कि कहीं मनोज के साथ कोई और तो नहीं था जिसने किसी बात पर मनोज को गोमती में गिरा दिया हो। ऐसे ही कई सवाल है जिनके जवाब पुलिस तलाश रही है। पुलिस का कहना है कि परिजन इस बाबत कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। मृतक की पत्नी भी कुछ नहीं बोल रही है जो जांच में बड़ी रुकावट बनकर सामने आ रही है।
सुरक्षा में था तैनात:-
गौरतलब है कि मूलरूप से बांदा निवासी मनोज कुमार शुक्ला 40 वर्ष 1997 बैच का सिपाही था। वह लखनऊ पुलिस लाइन में तैनात था। मनोज पत्नी व दो बच्चों के साथ मुंशी पुलिस सेक्टर 16 में रहता था। मौजूदा समय में मनोज महाधिवक्ता राघवेंद्र कुमार सिंह की सुरक्षा में तैनात था। घरवालों ने पुलिस को बताया कि शनिवार शाम को मनोज ड्यूटी पर जाने की बात कहकर घर से निकला था। जबकि वह अपनी सरकारी रायफल घर पर ही छोड़ गया था। लेकिन वह ड्यूटी पर नहीं पहुंचा। इस पर आरआई ने उसकी गैर हाजिरी रपट लिखकर विभागीय कार्रवाई के लिए एसएसपी को पत्र भेज दिया। उधर सोमवार शाम को मनोज का शव गोमतीनगर स्थित रिवर फ्रंट के पास नदी में उतराता मिला। उसकी नेम प्लेट से उसकी पहचान कर परिजनों को जानकारी दी गई। मौके पर एडीजी जोनए आईजी रेंज के अलावा अन्य पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और जांच पड़ताल की थी। मनोज कुमार के घर से निकलने और गोमतीनगर स्थित रिवर फ्रंट तक पहुंचने के दौरान पुलिस ने रास्ते भर के सीसीटीवी कैमरे खंगाले। लेकिन अभी तक किसी भी कैमरे की फुटेज में मनोज शुक्ला दिखाई नहीं पड़ा। पुलिस इस बात की आशंका जता रही है कि हो सकता हो मनोज किसी बंद गाड़ी में बैठ कर यहां घटना स्थल तक आया हो जिससे उसकी पहचान नहीं हो पा रही हो।