नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश भर में हो रहे प्रदर्शनों और उसके कारण देश के विश्वविद्यालयों में हो रही हिंसा के मद्देनजर सोमवार, 13 जनवरी को विपक्षी दलों की बैठक बुलाई गई है। कांग्रेस देश में चल रहे इन मुद्दों पर बीजेपी को विपक्ष की एकता दिखाना चाहता है लेकिन इसमें वे फेल होती नजर आ रही है।
इस बैठक में शामिल होने से कई पार्टियों ने इंकार कर दिया है। दरअसल पहले बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने कांग्रेस की इस प्रायोजित बैठक में हिस्सा नहीं लेने का ऐलान किया। उसके बाद आम आदमी पार्टी ने भी बैठक में जाने से इंकार किया।
वहीं बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख पहले ही इंकार कर दिया था। ममता बनर्जी ने कांग्रेस और वामपंथी पर सीएए प्रदर्शन के दौरन हिंसा फैलाने का भी आरोप लगाया।
बसपा प्रमुख मायावती ने भी कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और ट्वीट कर लिखा, ‘जैसाकि विदित है कि राजस्थान कांग्रेसी सरकार को बीएसपी का बाहर से समर्थन दिये जाने पर भी, इन्होंने दूसरी बार वहाँ बीएसपी के विधायकों को तोड़कर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है जो यह पूर्णतयाः विश्वासघाती है’
उन्होने एक अन्य ट्वीट में लिखा ‘ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व में आज विपक्ष की बुलाई गई बैठक में बीएसपी का शामिल होना, यह राजस्थान में पार्टी के लोगों का मनोबल गिराने वाला होगा। इसलिए बीएसपी इनकी इस बैठक में शामिल नहीं होगी’।
‘वैसे भी बीएसपी CAA/NRC आदि के विरोध में है। केन्द्र सरकार से पुनः अपील है कि वह इस विभाजनकारी व असंवैधानिक कानून को वापिस ले। साथ ही, JNU व अन्य शिक्षण संस्थानों में भी छात्रों का राजनीतिकरण करना यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण’।
वहीं आम आदमी पार्टी की ओर से संजय सिंह ने कहा कि, इस तरह की किसी मीटिंग की हमें कोई जानकारी नहीं है, इसलिए, जिसके बारे में हमें पता ही नहीं, उस मीटिंग में शामिल होने का मतलब ही नहीं है।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की निगाहे शिवसेना पर बनी है बताया जा रहा है किसमाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नए गठबंधन साझेदार बैठक में शामिल हो सकते हैं।