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ईयरफोन्स के लगातार प्रयोग से सुनने की क्षमता होती है कम, जानिये इसके नुक्सान

प्रौद्योगिक जहाँ एक तरफ हमारे जीवन को इतना आसान और सुविधाजनक बना देती है, तो वहीं दूसरी तरफ इसकी कई कमियां और दुष्प्रभाव भी है इसीलिए ये हमारे लिए एक वरदान और अभिशाप दोनों ही साबित हो रही है है। आज हम तकनीक से ही जुडी एक ऐसी चीज के दुष्प्रभाव के बारे में बताने जा रहे है जो शायद हम रोजाना अपने मनोरंजन के लिए इस्तेमाल करते है|

हम बताने जा रहे है सुपर सुविधाजनक चीज यानि कि इयरफोन या हेडफोन के दुषप्रभावों के बारे में जो शायद आज के युवाओ के लाइफ

स्टाइल का एक अहम् हिस्सा बन गया है |आइये आज आपको बताते हैं कि लंबे समय तक हेडफोन या इयरफोन का इस्तेमाल करने से आपको क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं।सबसे पहली और अहम बात आमतौर पर हमारा कान 65 डेसिबल की ध्वनि को ही सहन कर सकता है। लेकिन ईयरफोन पर 90 डेसिबल की ध्वनि 40 घंटे से ज्यादा सुनी जाए तो कान की नसें पूरी तरह डेड हो जाती है।और आप बहरेपन के शिकार हो सकते है

ईयरफोन्स के लगातार प्रयोग से सुनने की क्षमता 40 से 50 डेसीबेल तक कम हो जाती है।इयर फ़ोन के साउंड की वजह से हमारे कान का पर्दा वाइब्रेट होने लगता है और हमे दूर की आवाज सुनने में परेशानी होने लगती है।अगर आपको मजबूरी में घंटों ईयरफोन लगाकर काम करना है, तो कोशिश करें की हर एक घंटे पर कम से कम 5 मिनट का ब्रेक लें।

आज कल मार्केट में कई सारे लोकल क्वालिटी के इयरफोंस अवेलेबल जो आपके कानों को नुक्सान पहुचने में कोई कसर नहीं छोड़ताहै इसीलिए हमेशा अच्छी क्वालिटी के ही हेडफोन्स या ईयरफोन्स का प्रयोग करे|

ईयरबड हमारे कानो को अंदरूनी नुक्सान पहुंचा सकते है इसलिए इयरबड्स के बजाय ईयरफोन्स का प्रयोग करें क्योंकि यह बाहरी कान में लगे होते हैं।ईयरफोन्स के अत्यधिक प्रयोग से कान में दर्द, सिर दर्द या नींद न आने जैसी सामान्य समस्याएं हो सकती हैंतेज आवाज में संगीत सुनने से मानसिक समस्याएं तो ग्रसित करती ही हैं हृदय रोग और कैंसर का भी खतरा बढ़ जाता है़।

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