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जन्म लेने के पहले ही अपनी मां के पेट में गर्भवती हुई नवजात, यह है पूरी कहानी

आपने बच्चों के जन्म के मामले में दुनिया में अब तक अजीब से अजीब केस देखे होंगे जिनमें कोई महिला तीन तो कोई पांच बच्चों तक को जन्म देती है। इन अश्चर्यचकित कर देने वाली घटनाओं में किसी महिला द्वारा जुड़वा बच्चों के साथ गर्भवती होने की खबर शायद ही आपको कुछ अलग लगे लेकिन जब आप इसकी पूरी सच्चाई जानेंगे तो आपके ना सिर्फ होश उड़ जाएंगे बल्कि कुदरत के इस खेल पर सोचने को मजबूर होना पड़ेगा।

दरअसल, दुनिया में ऐसे कईं मामले सामने आते हैं जिनमें कोई युवती या महिला बेहद कम उम्र में गर्भवती हो जाए, लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि कोई बच्ची जन्म लेने के पहले ही उसकी मां के पेट में गर्भवती हो गई हो। यह प्रकृति का अजीब खेल कहा जाए या फिर चिकित्सा की दुनिया का आश्चर्य कि जिसके कारण नवजात को दुनिया में आते ही उसकी जिंदगी बचाने के लिए ऑपरेशन से गुजरना पड़ा।

हम जिस घटनाक्रम की बात कर रहे हैं वो कोलंबिया का है जहां एक महिला का गर्भावस्था के 37वें हफ्ते में ऑपरेशन कर प्रसव करवाया गया। वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि उसके पेट में पल रही बच्ची के पेट में भी एक भ्रूण पल रहा था जो उसका भाई या बहन का था। बच्ची के जन्म के बाद डॉक्टरों ने अगले 24 घंटे में उस बच्ची की भी सर्जरी की।

 

एक अंग्रेजी वेबसाइट MamásLatinas पर इस बारे में पूरी जानकारी दी गई है। इस वेबसाइट के अनुसार, कोलंबियाई मूल की एक महिला मोनिका वेगा कोलंबिया के बरनक्विला की हैं। वेगा मार्च में 7 महीने की गर्भवती थीं और जांच के दौरान उन्हें पता लगा कि उनके पेट में दो अम्बिलिकल कॉर्ड हैं। लेकिन, यह जुड़वा बच्चे नहीं बल्कि कुछ ऐसा था जिसने सभी को हैरान कर दिया था। दरअसल, वेगा ने सी-सेक्शन के माध्यम से जिस नवजात बच्ची को जन्म दिया उसका नाम उन्होंने इत्जमारा रखा है। इस बच्ची ने अपनी मां के पेट में अपने साथ पल रहे दूसरे भ्रूण को निगल लिया था और वो उसके पेट में पलने लगा था।

चिकित्सा की भाषा में इस अवस्था को फीटस इन फीटू कहा जाता है। सोनोग्राफी रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि मोनिका वेगा के पेट में दो अम्बिलिकल कॉर्ड हैं। इनमें से एक तो मोनिका से जड़े बच्चे का था और दूसरे उस भ्रूण का था जो मोनिका के पेट में पल रहे बच्चे के पेट में था।

यह एक हाई रिस्क केस था और इसके बाद डॉ. मीगल पारा ने मोनिका से बात कर तय किया कि ऑपरेशन के माध्यम से 37वें हफ्ते में ही मोनिका का प्रसव करवाएंगे जो तय समय से पहले था। डर यह था कि इत्जमारा के पेट में पल रहा भ्रूण उसके साथ बढ़ते हुए उसके अंगों को नुकसान पहुंचा सकता था।

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