मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय (TMU) के लिए बुधवार का दिन विशेष हो गया। श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र कमेटी के कार्यकर्ता प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल रहने वाले टीएमयू कुलाधिपति सुरेश जैन को प्रसाद देने के लिए विश्वविद्यालय पहुंचे।
सौभाग्य का विषय है राम लला का दर्शन का अवसर मिला- मनोज पांडेय
प्रसाद स्वरूप टीएमयू कुलाधिपति को श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र कमेटी के महामंत्री चंपतराय की ओर से आभार एवं शुभकामना पत्र के साथ ही रामलला के निर्माण में प्रयुक्त पाषाण का अंश एवं भगवान राम का चित्र अंकित एक रजत सिक्का प्रदान किया।
टीएमयू के कुलाधिपति सुरेश जैन ने इस प्रसाद को समूचे मुरादाबाद का सम्मान बताया। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल रहने को परम सौभाग्य का सूचक बताया। इस दौरान सुरेंद्र पाल सिंह, वतन कुमार, पवन कुमार जैन, चंद्रपाल सिंह, रोहित कुमार, विनोद कुमार आदि देने में शामिल रहे।
मुरादाबाद से तीन शख्सियत रहीं थी शामिल
उल्लेखनीय है कि अयोध्या राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा में मुरादाबाद से केवल टीएमयू के कुलाधिपति सुरेश जैन, ग्रुप वाइस चेयरमैन मनीष जैन और मुरादाबाद में राम मंदिर आंदोलन को धार देने वाले दाऊदयाल खन्ना के पुत्र डॉ ओंकारनाथ खन्ना को निमंत्रण मिला था। अयोध्या में विगत 22 जनवरी को टीएमयू के कुलाधिपति सुरेश जैन और विश्वविद्यालय के जीवीसी मनीष जैन ने रामलला प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल रहकर इन ऐतिहासिक पलों का साक्षात्कार किया था।
सबके राम से व्यक्त की थी राम भक्ति
अयोध्या राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल होने से पूर्व टीएमयू ने सबके राम पत्रिका के प्रकाशन के माध्यम से प्रभु श्रीराम की भक्ति में अपने समर्पण को भी व्यक्त किया था। अयोध्या में रामलला प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से पूर्व विश्वविद्यालय में समारोह के बीच सबके राम पत्रिका का लोकार्पण कर इसकी प्रतियां 22 जनवरी को अयोध्या में भी भेंट की गई थीं। पत्रिका में राम मंदिर आंदोलन में मुरादाबाद की भूमिका समेत प्रभु श्रीराम के प्रति भावों पर आधारित आलेख प्रकाशित किए गए थे।
राम मंदिर से मिलने वाला यह प्रसाद हमारी संग्रहणीय धरोहर है। तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय के साथ ही समूचे मुरादाबाद का गौरव है। श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपतराय के प्रति आभार उन्होंने प्रसाद रूप में यह पुण्य लाभ हमको मुरादाबाद पहुंचाकर कृतार्थ किया है। इस पुण्य प्रसाद से विश्वविद्यालय के साथ ही समूचे मुरादाबाद की धरा पावन हो गई है।