Breaking News

चंद्रग्रहण के बाद भगवान महाकाल के मंदिर परिसर को किया गया शुद्ध

विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर मंदिर में रविवार सुबह चंद्रग्रहण के मोक्ष के बाद पूरे मंदिर परिसर को पानी से शुद्ध किया गया। इसके बाद ही भस्म आरती की गई। दरअसल, शनिवार देर रात चंद्र ग्रहण होने की वजह से देशभर के मंदिरों में कपाट बंद कर दिए गए थे, लेकिन भगवान महाकाल के मंदिर के कपाट बंद नहीं किए गए थे। श्रद्धालुओं को भी दर्शन करने से नहीं रोका गया था। चन्द्र ग्रहण के बाद रविवार को सुबह भगवान महाकाल मंदिर के पट खोलने से पहले पूरे मंदिर परिसर को धोया गया। इसके लिए फायर फाइटर की मदद ली गई। मंदिर के अग्र भाग सहित नंदी हॉल, गर्भगृह, गणेश मंडपम सहित पूरे परिसर को शुद्ध किया गया। इसके बाद पंडे-पुजारी ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन कर भगवान महाकाल का जलाभिषेक किया।

बाबा महाकाल का दूध, दही, घी, शक्कर, फलों के रस से बने पंचामृत से पूजन किया गया। भगवान महाकाल का विशेष श्रंगार श्रीगणेश के रूप में तैयार किया गया। भगवान महाकाल का भांग, सूखे मेवों, चंदन, आभूषण से पूरा होने के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढककर भस्म रमाई गई। भगवान महाकाल का भांग, सूखे मेवों, चंदन, आभूषण से श्रृंगार किया गया। भस्म अर्पित करने के पश्चात शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुंडमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ सुगंधित पुष्प से बनी फूलों की माला अर्पित की।

इधर, रविवार से कार्तिक मास की शुरुआत भी हो गई है। इस महीने को भगवान श्रीकृष्ण की उपासना के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है कि इस पवित्र महीने में उज्जैन स्थित शिप्रा नदी में स्नान, तुलसी शालिग्राम की पूजा और मंदिरों में दीपदान से विशेष पुण्य मिलता है। कार्तिक मास में सनातन धर्म से संबंधित कई प्रमुख पर्व और त्यौहार धूमधाम से मनाए जाते हैं।

About News Desk (P)

Check Also

PM नरेंद्र मोदी ने देशवासियों के जान का सौदा किया है, यही है मोदी की गारंटी- अजय राय

लखनऊ। कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield Vaccine) बनाने वाली कम्पनी ने ब्रिटिश कोर्ट में यह स्वीकार किया ...