पंजाब-महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक के बाद अब एक और को-ऑपरेटिव बैंक का घोटाला सामने आया है। इस को-ऑपरेटिव बैंक का नाम शिवाजीराव भोसले सहकारी बैंक है। पुणे मुख्यालय वाले शिवाजीराव भोसले सहकारी बैंक लिमिटेड के कामकाज में गंभीर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। इस खुलासे के बाद बैंक के निदेशक मडंल को बर्खास्त कर दिया गया है।
इस कार्रवाई के बाद बैंक के लगभग एक लाख खाता धारक फिलहाल अपना पैसा बैंक से नहीं निकाल पा रहे हैं। घोटाले का खुलासा होने के बाद बैंक के निदेशक मडंल को बर्खास्त करके प्रशासक की नियुक्ति की गई है। इससे बैंक के लगभग एक लाख ग्राहक प्रभावित हुए हैं। गौरतलब है कि इस बैंक के प्रमोटर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता और महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य अनिल शिवाजीराव भोसले हैं। सहकारिता आयुक्त सतीश सोने द्वारा जारी किये गए आदेश में कहा गया कि आरबीआई द्वारा अप्रैल 2019 में एक स्पेशल जांच की गई थी।
इस जांच में शिवाजीराव भोसले सहकारी बैंक लिमिटेड बैंक के कामकाज में भारी अनियमितताएं पाई गईं। आदेश में यह भी कहा गया है कि शिवाजीराव भोसले सहकारी बैंक के मौजूदा निदेशक मंडल को हटा दिया गया है। इस निदेशक मंडल के स्थान पर उप-जिला रजिस्ट्रार नारायण आघव को प्रशासक नियुक्त किया गया है। आदेश में बताया गया कि सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार और सहकारी आयुक्त ने आरबीआई के साथ चर्चा के बाद यह फैसला लिया है। शिवाजीराव भोंसले सहकारी बैंक की ये अनियमितताएं इसके ग्राहकों पर खूब भारी पड़ रही है। बैंक के लगभग एक लाख खाता धारक फिलहाल बैंक से अपना पैसा नहीं निकाल पा रहे हैं। संकटग्रस्त बैंकों के खाताधारकों के मामलों को बढ़ाने वाले ग्रुप के मेंबर मिहिर थाटे ने बताया कि यह पूरा संकट फर्जी कर्जदारों को 300 करोड़ रुपये का कर्ज वितरित करने की वजह से खड़ा हुआ है। उन्होंने कहा की राजनीतिज्ञों की आड़ में यह काम किया गया।