दिल्ली और उत्तर प्रदेश सहित देश के कई इलाकों में मौसम ने करवट ली है. कहीं पर जोरदार बारिश हुई तो कहीं पर रिमझिम बारिश ने मौसम बिल्कुल ठंड़ा कर दिया.बारिश के बाद से ही गुलाबी ठंड का एहसास होने लगा है.
आमतौर पर जब बारिश होती है. तो हवा में मौजूद कण उसी की ओर आकर्षित होते हैं. और इससे जैल बना लेते है. हवा में मौजूद इन कणों को एरोसोल कहते हैं. इन कणों में कालिख,सल्फेट्स और कई तरह के कार्बनिक कण हैं. जो पोल्यूशन में खास भूमिका निभाते हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि बारिश में ऐसी-ऐसी क्रियाएं होती हैं. जिसके जरिए बारिश की बूदें और एरोसोल आपस में आकर्षित होती है. और जुड़ जाती है. जिसके बाद धरती पर आकर गिरती हैं. फिर वो पानी के साथ या तो बह जाते हैं. या फिर धरती द्वारा सोख लिए जाते हैं.
एक शोध में ये भी कहा गया है कि हर बारिश की बूंद आवेशित भी हो जाती है. लिहाजा वो वायुमंडल में पहले से मौजूद तमाम तरह के आवेशित कणों के साथ मिलकर जैल बनते हैं.
बारिश के बाद आमतौर पर हवा साफ हो जाती है. शुद्ध हवा में किसी भी तरह के प्रदूषण नहीं होते. इसमें दुर्गंध और धूल के कण भी नहीं होते. इसमें किसी भी तरह की हानिकारक गैसें नहीं होतीं.
बता दें कि ऑक्सीजन एक तरीके का रंगहीन और गंधहीन डायटोमिक गैस है. कहा जाता है कि ऑक्सीजन की मौजूदगी में लड़की या कोई उसी तरीके की सामान बहुत तेजी से जलता है.