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दिल्ली दौरे के बाद योगी आदित्यनाथ और अधिक मजबूत होकर लखनऊ लौटे, गुटबाजी को लेकर पार्टी सतर्क

दया शंकर चौधरी

लखनऊ। दिल्ली दौरे के बाद निश्चित रूप से योगी आदित्यनाथ और अधिक मजबूत होकर लखनऊ लौटे हैं। सियासी कयासों, उलटफेर की चर्चा पर अब विराम के बाद मजबूती के साथ वह अगले साल विधान सभा चुनाव की तैयारियों में जुटेंगे। बीजेपी नेताओं के साथ बैठक और पीएम मोदी के ट्वीट के बाद सीएम योगी का कॉन्फिडेंस और भी ज्यादा बढ़ गया होगा।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दिल्ली दौरा खत्म हो गया और इसके साथ ही कई सवालों पर विराम भी लग गया। यह दौरा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए भी काफी अहम था। पीएम मोदी के अलावा गृह मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से भी वह मिले। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले योगी आदित्यनाथ को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे थे और कई प्रकार की चर्चा शुरू हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार एक ट्वीट कर वरिष्ठ नागरिकों के लिए हेल्पलाइन शुरू करने की यूपी सरकार की प्रशंसा की।

ट्वीट के माध्यम से पीएम ने दिया गुटबाजी से दूर रहने का संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में यह लिखा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह बहुत अच्छी पहल है। प्रधानमंत्री ने वरिष्ठ नागरिकों को स्वास्थ्य सेवा एवं कानूनी मदद के लिए हेल्पलाइन शुरू करने की पहल की प्रशंसा की। पीएम मोदी ने यह बात वरिष्ठ नागरिकों से आ रही अच्छी प्रतिक्रिया वाली खबर पर टिप्पणी करते हुए कही। पीएम मोदी के इस एक ट्वीट को सामान्य टिप्पणी के रूप में देखा जा सकता है लेकिन इसके पीछे एक संदेश भी छिपा है। यूपी में तमाम सियासी चर्चाओं के बीच सीएम योगी जब प्रधानमंत्री से मिले उस वक्त भी कई प्रकार की चर्चा शुरू थी। प्रधानमंत्री मोदी और सीएम योगी के बीच तकरीबन 80 मिनट तक बात हुई। प्रधानमंत्री आवास से बाहर निकलने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने पत्रकारों से कोई बात नहीं की और वहां से निकल गए। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से रिलीज जारी कर बताया गया कि किन मुद्दों पर बात हुई।

दिल्ली दौरे के बाद सीएम योगी का बढ़ा कॉन्फिडेंस

इस मुलाकात के बाद यह तो साफ हो गया कि यूपी में कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि पीएम मोदी की ओर से ट्वीट कर सीएम योगी की तारीफ के बाद योगी के विरोधियों को भी जवाब मिल गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर उनके विरोधी खेमे की ओर से जो यह सवाल खड़े किए जा रहे थे कि पीएम मोदी उनके काम से खुश नहीं है, उन्हें भी जवाब मिल गया है।

यूपी चुनाव से पहले कई कयास लगाए जा रहे थे उस पर भी विराम लग गया है। कोरोना काल में हालात से निपटने और पंचायत चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन को लेकर भी सीएम योगी आदित्यनाथ पर सवाल खड़े हो रहे थे। दिल्ली दौरे पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने पीएम मोदी के साथ ही पार्टी की सीनियर लीडरशिप को बताया कि कोविड संकट से निपटने के लिए उनकी सरकार ने क्या किया। कुछ राज्यों में गुटबाजी और खुलकर किसी नेता के विरोध में बयानबाजी से पार्टी को नुकसान हुआ है और पार्टी यूपी में यह नहीं चाहती। इसको लेकर भी पार्टी की ओर से साफ संकेत दिए जा चुके हैं।

भाजपा ने शुरू किया मजबूत सामाजिक समीकरण तय करने का प्रयास

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने एक बार फिर से मजबूत सामाजिक समीकरण तय करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। विभिन्न जातिगत आधार वाले छोटे दलों के साथ बीजेपी की हाथ मिलाने की कोशिश उसकी उसी रणनीति का हिस्सा है जिसने उसे 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत दिलाई थी।

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के नेताओं के साथ मुलाकात तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने से सत्तारूढ़ दल अपने अंकगणित को मजबूत करने की कोशिश करता प्रतीत होता है। अपना दल (एस) और निषाद पार्टी भाजपा की सहयोगी रही हैं।लेकिन सरकार में प्रतिनिधित्व के मुद्दे पर वे नाराज चल रही थीं। जितिन प्रसाद उत्तर प्रदेश के एक जाने-माने ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते हैं और वह तीन पीढ़ियों से कांग्रेस के साथ थे। भाजपा को लगता है कि युवा नेता के उसके खेमे में आने से योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से नाराज बताए जा रहे राजनीतिक रूप से प्रभावी ब्राह्मण समुदाय को साधने में मदद मिलेगी।

अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने शाह से अपनी मुलाकात को लेकर कुछ नहीं कहा है। वहीं निषाद पार्टी के संजय निषाद का कहना है कि उनकी पार्टी वंचित तबकों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए राज्य सरकार में प्रतिनिधित्व चाहती है। उन्होंने विभिन्न समुदायों से संबंधित मुद्दों के समाधान की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा है कि राजनीतिक शक्ति के बलबूते ही वंचित तबके के बीच विश्वास कायम किया जा सकेगा। संजय निषाद ने भाजपा को अपने संदेश में कहा है कि उनके समुदाय ने विगत में बसपा, सपा और कांग्रेस जैसे दलों का समर्थन किया, लेकिन अपनी समस्याओं का समाधान न होने पर समुदाय ने इन दलों को वोट देना बंद कर दिया।

ऐसी भी खबरें हैं कि भाजपा अपनी पूर्व सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को भी फिर से अपने खेमे में ला सकती है। लेकिन इसके नेता ओमप्रकाश राजभर ने इस तरह की संभावना को खारिज किया है। भाजपा सूत्रों ने कहा कि उनकी पार्टी ने विभिन्न समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए काम किया है और वह छोटे दलों के साथ गठबंधन करने के विरोध में कभी नहीं रही है। इस तरह की अटकलें तेज हैं कि योगी आदित्यनाथ राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं और सहयोगी दलों के नेताओं के साथ शाह की बैठकों को इसी कवायद का हिस्सा माना जा रहा है।

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