पतंग की उड़ान
पतंग भरती जैसे उड़ान, बढ़ेगा वैसे मेरा मान।
सफलता मेरे पंख होंगे, खुला होगा मेरा आसमां।।
इरादे मेरे बुलंद होंगे, लेता आज मैं ये सौगंध।
डगर भले हो मेरा दूभर, कदमों में ना होगा पाबंद।।
देख ऊंची पतंग उड़ान, सपने भरते मेरे उफान।
मंजिल नाप लूंगा पग में, मन में उमड़ता ये तूफान।।
उडूंगा जब नील नभ में, सितारे होंगे दोस्त हमारे।
एक पल यहां दूजा वहां, ऐसे होंगे दिवस हमारे।।
छुए सपने उड़ती पतंग, मन में ऐसा मेरे उमंग।
सपने खातिर उड़ने को, फड़फड़ाते मेरे अंग अंग।।
रहे परिस्थिति जैसी भी, रवि भांति चमकना मुझे।
ना रुकूंगा मैं कर्म रण से, पतंग भांति उड़ना मुझे।।
गर तुम कुछ देना ही चाहो, सहयोग के दो पल दे जाना।।
अपने सकारात्मक शब्दों से, मम पतंग ऊंची कर जाना।।