पिछले कई वर्षों की भांति इस वर्ष भी जाड़े की कड़ाके के ठंडे में गरीबों की जरूरतों को पूरा करने एवं जाड़े से बचाव हेतु इस वर्ष भी राजधानी लखनऊ में अखिलेश पांडे ने लखनऊ क्षेत्र में आलमनगर स्टेशन, बुद्धेश्वर मंदिर, मेडिकल कॉलेज चौराहा, चौक, हनुमान सेतु मंदिर आदि जगहों पर अपने मित्र निश्चल मिश्रा, सत्येंद्र श्रीवास्तव, सुरेंद्र कुशवाहा, कपिल, ऋषि सोनकर एवं अपने भतीजे आयुष पांडे के साथ मिलकर 251 कंबल का वितरण किया।
अखिलेश पांडे प्रतिवर्ष इसी तरह से अपने मित्रों के साथ एक दूसरे के सहयोग से रात में दुपहिया वाहन से रात्रि के समय मे लखनऊ क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर घूम घूम कर सड़क पर सो रहे जरूरतमंदों को कंबल वितरण करने का कार्य पिछले 5 वर्षों से लगातार करते आ रहे हैं। इसके पीछे अखिलेश पांडे का मानना है कि प्रकृति ने हमको हमारे जीवन यापन करने के लिए प्रभु के माध्यम से जो उपलब्ध कराया है, उसको हम एवं हमारे मित्र किसी न किसी रूप में जरूरतमंदों को इस प्रकृति को वापस अवश्य ही करते रहना चाहिए।
उनका मानना है की उन्हें इस प्रकार के कार्य अपने हाथों से करने पर जरूरतमंद के चेहरे पर जो मुस्कान उभर कर हमको एवं हमारे मित्रों को आशीर्वाद प्रदान करती है वह आशीर्वाद रुपए पैसे एवं हीरे जवाहरात से नहीं खरीदी जा सकती है।आज के युग में मनुष्य पूंजी को जमा करने की ओर भागता चला जा रहा है, परंतु अपनी तरफ से जरूरतमंदों की मदद करने में हिचक महसूस करता है।
श्री पांडे जी का मानना है कि आज हमें विरासत के रूप में प्रकृति से जो प्राप्त हुआ है उसे हम जरूरतमंदों की जरूरतों को पूरा करके अपने परिवार एवं अपने मित्रों के साथ बड़े ही उल्लास के साथ सदैव इस प्रकार के जनहित के कार्य करते रहेंगे। और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रेरित करते रहेंगे।
इस प्रकार के जनहित के कार्य करने के पीछे अखिलेश पांडे का मानना है कि आज अभिभावकों को बुजुर्गों, जरूरतमंदों, फुटपाथ पर रहने वालों लोगों के लिए अपने बच्चों के हाथों से अवश्य ही उनके जन्मदिवस पर केक काटने के साथ साथ इस प्रकार के नेक कार्य भी करवाते रहना चाहिए। ऐसा करने से बच्चों के दिलों में भी एक प्रकार की मोरल एजुकेशन की शिक्षा का बीज समाज के लिए अवश्य ही अंकुरित होगा। जो कि समाज के लिए एक दीपक की तरह काम करेगा। अखिलेश पांडे के मुताबिक उन्हें इसकी प्रेरणा माता-पिता से विरासत में मिला है। जिससे बदौलत वो जनहित के कार्य करते चले आ रहे हैं।