Breaking News

अखिलेश हिन्दुत्व के सहारे करेंगे यूपी में वापसी!

अजय कुमार

गौरतलब हो, समाजवादी पार्टी की तुष्टिकरण की सियासत के चलते पिछले कुछ चुनावों से सपा का गैर मुस्लिम वोट बैंक खिसकता जा रहा था। यहां तक की यादव जिन्हें समाजवादी पार्टी का कोर वोटर माना जाता है, चुनाव के समय उसका भी झुकाव बीजेपी की तरफ हो गया था।

जिस कारण समाजवादी पार्टी को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। तात्पर्य यह है कि सपा को समझ में आ  गया है कि जैसे बसपा सुप्रीमों मायावती केवल दलित वोटों के सत्ता की सीढ़िया नहीं चढ़ पाती थी, वैसे ही सपा भी सिर्फ मुस्लिम वोटरों के सहारे सरकार नहीं बना सकती है।

मायावती ने जब ‘सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय’ का नारा दिया था,तभी यूपी में उनकी बहुमत के साथ सरकार बनी थी। सपा के पास मुुस्लिम-यादव समीकरण था,लेकिन मोदी की हिन्दुत्व वाली सियासत ने सपा के यादव वोट बैंक में सेंधमारी कर दी थी,जिसके चलते ही अखिलेश अर्श से फर्श पर आ गए थे। इसी के बाद पिछले कुछ समय से अखिलेश सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं। इसके पीछे उनकी योजना यही है कि अगर चुनाव में बीजेपी धर्म के कार्ड का इस्तेमाल करे तो वह उसका बखूबी जवाब दे सकें।
इससे पहले अखिलेश ने साल की शुरुआत में लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में अयोध्या से आए महंत और मौलवियों से मिले। उन्होंने इस मौके पर ऐलान किया था कि अगर यूपी में एसपी की सरकार बनती है तो भगवान श्रीराम की नगरी में मठ-मंदिर, मस्जिद-गुरुद्वारा, गिरजाघर और आश्रम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। इसी साल 8 जनवरी को अखिलेश चित्रकूट के लक्ष्मण पहाड़ी मंदिर पहुंचे थे और कामदगिरि मंदिर की परिक्रमा करते दिखाई दिए थे।
इससे पूर्व 15 दिसंबर 2020 को अखिलेश यादव ने अयोध्या में जहां राम मंदिर निर्माण वाली जगह का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने अपनी पार्टी की ओर किए गए धार्मिक कार्यों को गिनाने की कोशिश की। इसके बाद से अखिलेश लगातार मंदिरों को चक्कर लगा रहे हैं। अखिलेश जहां भी जा रहे हैं वहां के प्रमुख मंदिरों के दर्शन कर रहे हैं। यह बात उनके मुस्लिम वोटरों  को कितनी रास आएगी, यह समय बताएगा।

About Samar Saleel

Check Also

शिक्षा और परीक्षा में अव्वल आती लड़कियां, पंजाब की ये तीन बेटियां बनी मिसाल

पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (पीएसईबी) ने 10वीं कक्षा के परिणामों की घोषणा कर दी है। ...