लखनऊ। अखिलेश यादव सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री भी। स्वाभाविक रूप से अनुभवी हैं । सत्ता हाथ से जाने से दुखी भी। आज कल उनका यह अनुभव और दर्द उनके ट्वीट में आये दिन छलक जाता है।
- सुनिश्चित हार जानकर वह बदहवास हो चुके हैं।
- सोते-जागते उनको सिर्फ भाजपा का सपना आता है।
यह बातें सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने एक बयान में कही। उन्होंने कहा कि हाल ही के ट्वीट को ले लीजिए जिसमें वह कहते हैं कि जिनसे हार का डर होता है लोग अक्सर बदहवासी में उनका नाम लेते रहते हैं। अब आप ही सोचिए सोते-जागते कौन भाजपा का नाम लेता है? इस आधार पर कौन किससे डरा हुआ और बदहवास है, यह बताने की जरूरत नहीं।
आगे वह लिखते हैं कि देखना ये है कि इन्हें (बीजेपी) पहले कौन हटाता है, इनके अपने या जनता। दरअसल इसका अखिलेश यादव से बेहतर अनुभव किसी को है भी नहीं। याद करें पिछले विधानसभा चुनाव की पारिवारिक कलह जिसमें इनके अपनों ने ही इनको दूध की मक्खी की तरह निकाल फेंका था। बाद में जब जनता ने देखा कि जो अपनों का नहीं हुआ वह हमारा क्या होगा तो उसने भी वही किया।
इस बार भी वह वही करेगी। अखिलेश के पानी पीकर भाजपा को कोसने से कुछ होने वाला नहीं। जनता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई वाली दमदार, ईमानदार और कर्मठ सरकार की कायल हो चुकी है। सपा के कुशासन और भाजपा सरकार के सुशासन का फर्क वह साफ देख रही है। अब बिल्ली के भाग्य से दुबारा छींका टूटने से रहा।