प्रभु राम के अवतार मात्र से ही समस्त ग्रह अनुकूल हो गए थे। जीव,जंतु,जड़,चेतन सभी पर अद्भुत ऊर्जा का संचार हुआ था। क्योंकि प्रभु ने शिशु रूप में पृथ्वी पर जन्म लिया था। इसलिए यह स्वयं में अलौकिक बेला थी। गोस्वामी जी लिखते है- जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल। चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल॥ अर्थात चर अचर सहित समस्त लोकों में सुख का संचार हुआ था।
नौमी तिथि मधु मास पुनीता।
सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥
मध्यदिवस अति सीत न घामा।
पावन काल लोक बिश्रामा॥
सीतल मंद सुरभि बह बाऊ।
हरषित सुर संतन मन चाऊ॥
साभार दूरदर्शन
बन कुसुमित गिरिगन मनिआरा।
स्रवहिं सकल सरिताऽमृतधारा।।
सो अवसर बिरंचि जब जाना।
चले सकल सुर साजि बिमाना॥
गगन बिमल संकुल सुर जूथा।
गावहिं गुन गंधर्ब बरूथा॥