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गलवान मुद्दे पर अमेरिका ने एक बार फिर दिया भारत का साथ

गलवान मुद्दे पर अमेरिका ने एक बार फिर भारत का साथ दिया है। बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक में भारतीय सैनिकों के साथ संघर्ष में घायल हुए सैन्य अधिकारी को मशालची बनाने के चीन के फैसले की अमेरिकी सीनेट विदेश संबंध समिति के एक शीर्ष सांसद जिम रिश ने निंदा की है।

बीजिंग ओलंपिक में भारतीय सैनिकों के साथ संघर्ष में घायल हुए सैन्य अधिकारी को चीन द्वरा मशालची बनाने की अमेरिका सांसद ने निंदा।

जिम रिश ने ट्वीट कर कहा यह शर्मनाक है कि बीजिंग ने ओलंपिक 2022 के लिए उस मशालची को चुना है जो 2020 में भारत पर हमला करने वाली सैन्य कमान का हिस्सा था और उइगरों के खिलाफ नरसंहार में भी शामिल रहा है। उन्होंने आगे कहा अमेरिका उइगरों की स्वतंत्रता और भारत की संप्रभुता का समर्थन करना जारी रखेगा।

स्थानीय मीडिया की खबरों के अनुसार चीनी सेना के रेजिमेंटल कमांडर जो जून 2020 में गालवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में गंभीर रूप से घायल हो गए थे, बीजिंग खेलों में मशालची बने हैं। चीन पर नजर रखने वालों का कहना है कि यह कदम एक स्पष्ट संकेत है कि बीजिंग खेलों का राजनीतिकरण किया गया है।

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार पीपुल्स लिबरेशन आर्मी झिंजियांग सैन्य कमान के रेजिमेंटल कमांडर क्यूई फैबाओ, जिन्हें गालवान घाटी संघर्ष के दौरान सिर में गंभीर चोट लगी थी ने चीन के चार बार के ओलंपिक शॉर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग चैंपियन वांग मेंग से मशाल लिया है।

     शाश्वत तिवारी

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