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कुशल प्रशिक्षित युवाओं की विदेशों में है मांग- आनंदीबेन पटेल

पंद्रह देशों में तैनात भारतीय राजदूतों की राज्यपाल के साथ बैठक

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन में 15 देशों में तैनात भारतीय राजदूतों तथा उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालयों के 11 कुलपतियों के साथ बैठक की, जिसमें विभिन्न देशों में स्थापित विश्वविद्यालयों के साथ शैक्षिक आदान-प्रदान के संबंध में विस्तृत चर्चा की गयी। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विगत 3 वर्ष से राज्य विश्वविद्यालयों के नैक ग्रेडेशन तथा नयी शिक्षा नीति लागू करने के लिये बृहद स्तर पर काम किया जा रहा है। हमारा प्रयास है कि हम विद्यार्थियों को नौकरी के साथ-साथ स्वरोजगार के लिये भी प्रेरित करें। स्टार्टअप के माध्यम से यदि विद्यार्थी स्वरोजगार करता है तो वह अपने साथ-साथ अन्य कई लोगों को भी रोजगार दे सकता है। इसलिए हमें विद्यार्थियों को इस दिशा में प्रेरित करने का कार्य करना है, ताकि आज के युवा आत्मनिर्भर होकर कार्य कर सकें।

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय का दायित्व है कि केजी से पीजी तक शैक्षणिक वातावरण बनायें तथा विश्वविद्यालय परिसर से निकलकर गांव, गरीब व किसान तक अपने विद्यार्थियों के माध्यम से पहुंचकर उन्हें सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी दें। गांव गोद लेकर उन्हें योजनाओं से आच्छादित करने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करें कि बच्चे टीबीमुक्त हो, 100 प्रतिशत डिलीवरी सरकारी अस्पताल में हो, कुपोषण दूर करने के प्रयास करें। ऐसा करने से विश्वविद्यालय के बच्चों में पढ़ाई के साथ सेवाभाव की भावना विकसित होगी।

कुलाधिपति ने बताया कि जब नैक के लिए मूल्यांकन होता है, तो वहां शोध कार्य अंग्रेजी में ही मान्य होता है। ऐसा नहीं होना चाहिये। क्षेत्रीय भाषाओं में भी शोध कार्य करने के प्रयास किये जाने चाहिए। हमें किसानों की समस्याओं पर भी शोध और उनके निराकरण पर गहनता से विचार करना होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि यूरिया खाद का दुरूपयोग कर नकली दूध का व्यापार होता था, उसे रोकने के लिये नीम कोटेड यूरिया का निर्माण हुआ फलस्वरूप नकली दूध के व्यापार पर अंकुश लग गया।

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उपस्थित सभी राजदूतों तथा राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से अपील की कि वे देशों के मध्य शैक्षणिक वातावरण तैयार करने हेतु, रिसर्च पब्लिकेशन, भाषायी शिक्षा, रिसर्च का आदान-प्रदान, विद्यार्थियों का आदान-प्रदान, संयुक्त कोर्स, स्टार्ट-अप, बेस्ट प्रैक्टिस, सूचना तकनीक रिसर्च, संयुक्त डिग्री कार्यक्रम, आनलाइन तथा आफलाइन शिक्षा, गेस्ट फैकल्टी के रूप में शिक्षकों, छात्रों तथा फैकल्टी का आदान-प्रदान, विदेशी छात्रों को प्रोत्साहन, जीवन मूल्यों पर आधारित शिक्षा जैसे विषयों पर विस्तृत विचार-विमर्श कर अपनेे देश की मांग के अनुसार इन क्षेत्रों में आगे बढं़े। राज्यपाल जी ने कहा कि यदि हम सच्चे मन से इस दिशा में प्रयास करेंगे तो निश्चय ही इसके सार्थक परिणाम सामने आयेंगे।

इस अवसर पर विभिन्न देशों के राजदूतों ने अपने-अपने देश की शैक्षिक जरूरतों और विशेषताओं के बारे में अपने विचार साझा किये। इस क्रम मे विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने अपने-अपने विश्वविद्यालयों में शैक्षिक उन्नयन हेतु किये जा रहे प्रयासों को बताया तथा अन्य देशों के साथ शिक्षा एवं तकनीकी के आदान-प्रदान की सम्भावनाओं पर भी व्यापक विचार-विमर्श किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने विभिन्न देशों के राजदूतों को ‘एक जनपद-एक उत्पाद’ के अन्तर्गत निर्मित उत्पाद भेंट किया।

कार्यक्रम में आयरलैण्ड, लाओस, जेनेवा, पोलैण्ड, जार्डन, मैक्सिको, नेपाल, भूटान, पुर्तगाल, न्यूजीलैंड, कजाकिस्तान, थाईलैण्ड, क्रोऐशिया, बहरीन, बोत्सवाना तथा साउथ कोरिया के राजदूत, एमएसएमई के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद, प्रमुख सचिव राज्यपाल कल्पना अवस्थी तथा 11 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों सहित राजभवन के अधिकारियों ने भाग लिया।

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